
ऋषिकेश, 15 जुलाई। एम्स ऋषिकेश में डायबेटिक किडनी रोग को लेकर एक महत्त्वपूर्ण सतत चिकित्सा शिक्षा का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम मेडिसिन एवं नेफ्रोलॉजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में, कार्डियो डायबेटिक सोसाइटी और UK RSSDI के सहयोग से संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने कहा कि मधुमेह रोगियों को नियमित जांच, चिकित्सीय परामर्श और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर किडनी को गंभीर नुकसान से बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से चिकित्सा विशेषज्ञों के बीच ज्ञान-विनिमय होता है, जिससे रोगियों को बेहतर उपचार मिल पाता है।
आयोजक अध्यक्ष एवं मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. रविकांत ने बताया कि डायबिटीज के कारण किडनी पर असर पड़ना एक सामान्य लेकिन गंभीर समस्या है, जो उच्च रक्तचाप से और जटिल हो जाती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की नियमित निगरानी इस रोग की रोकथाम में अहम भूमिका निभा सकती है।
कार्यक्रम के सह-संयोजक डॉ. मुकेश बैरवा (मेडिसिन) और डॉ. शेरोन कंडारी (नेफ्रोलॉजी) ने बताया कि इस सीएमई का उद्देश्य चिकित्सकों को डायबेटिक किडनी रोग के प्रति अधिक संवेदनशील और जानकारी सम्पन्न बनाना था, ताकि रोगियों को समय पर सही इलाज मिल सके।
शैक्षणिक संगोष्ठी में डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. बी. सत्या श्री, और UK RSSDI के चेयरमैन डॉ. दीपक रस्तोगी सहित देशभर के चिकित्सा विशेषज्ञों ने भाग लिया। कार्यक्रम में डॉ. बालाचंद्र, डॉ. राशि, डॉ. विनय, डॉ. अर्शदीप, डॉ. संदीप और डॉ. अभय सहित अनेक चिकित्सक उपस्थित रहे।
प्रमुख वक्ताओं यह रहे शामिल
डॉ. संजय शाह, डॉ. दीपांकर भौमिक, डॉ. पुनीत अरोड़ा, डॉ. कल्याणी एस., डॉ. पर्वन शेट्टी, जिन्होंने डायबेटिक किडनी रोग के नवीनतम शोध, उपचार पद्धतियों और रोग प्रबंधन पर अपने अनुभव साझा किए।