
नैनीताल ब्यूरो रिपोर्ट
नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव का विवाद अब हाईकोर्ट की चौखट तक पहुंच चुका है। बीते गुरुवार को हुए मतदान में अपहरण, मारपीट और हंगामे की घटनाओं के बाद हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में एसएसपी को कड़ी फटकार लगी। अदालत ने तीखे शब्दों में सवाल किया – “जब शहर में हिस्ट्रीशीटर घूम रहे थे तो तुम्हारी पुलिस फोर्स कहां थी?”
सुनवाई टली, अब 19 अगस्त को होगी अगली पेशी
आज यानी 18 अगस्त को सुनवाई प्रस्तावित थी, लेकिन अब यह 19 अगस्त को होगी। कोर्ट ने जिला प्रशासन और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। वहीं, हाईकोर्ट ने डीएम वंदना सिंह से काउंटिंग प्रक्रिया और पूरे घटनाक्रम पर एफिडेविट मांगा है।
क्या है पूरा मामला?
नैनीताल में बृहस्पतिवार को जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के चुनाव में भारी हंगामा और आरोप-प्रत्यारोप हुआ। मतदान शुरू होने के कुछ देर बाद पांच जिला पंचायत सदस्य अचानक लापता हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, लगभग 10–12 अज्ञात लोग बरसाती पहनकर पहुंचे और सदस्यों को जबरन घसीटकर गाड़ियों में डालकर ले गए। इस दौरान कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ भी धक्कामुक्की हुई। घटना के बाद कांग्रेसियों ने चुनाव का बहिष्कार करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
मतगणना पर भी छाया सस्पेंस
हंगामे के बीच शुक्रवार तड़के 22 वोटों की गिनती निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षक की मौजूदगी में हुई। नतीजों को सीलबंद लिफाफे में डबल लॉक कर सुरक्षित रखा गया। फिलहाल चुनाव प्रक्रिया रोक दी गई है।
अपहरण का नाटक या साज़िश?
लापता हुए पांचों सदस्य बाद में कोर्ट में हाज़िर हुए। उन्होंने मजिस्ट्रेट के सामने बयान देकर कहा हम अपनी मर्जी से घूमने गए थे, हमें किसी ने अगवा नहीं किया। लेकिन कांग्रेस ने इसे “साज़िश” और “अपहरण” करार दिया है। वहीं, भाजपा इसे विपक्ष का राजनीतिक ड्रामा बता रही है। मामले में कपिल सिब्बल के जूनियर वकील ने हाईकोर्ट में एक अलग याचिका दाखिल कर दोबारा चुनाव की मांग की है। इस पर अभी सुनवाई बाकी है।
इस चुनाव में भाजपा से दीपा दरमवाल और कांग्रेस से पुष्पा नेगी आमने-सामने थीं। अब रिपोलिंग होने पर मुकाबला और भी तगड़ा और विवादित होने के आसार हैं।
पुलिस और प्रशासन पर उठे सवाल
घटना के दौरान पुलिसकर्मी मौके पर मौजूद थे, लेकिन वे तमाशबीन बने रहे। वायरल वीडियो में पुलिसकर्मी छाता संभालते नजर आए, जबकि सदस्य सड़क पर घसीटे जा रहे थे। सीसीटीवी फुटेज में बरसाती पहने लोगों के हाथ में हथियार (तलवार जैसी वस्तु) भी दिखाई दी। कांग्रेस नेताओं ने पुलिस पर मिलीभगत और नाकामी के आरोप लगाए हैं।
डीएम का बयान
जिलाधिकारी वंदना सिंह ने हाईकोर्ट को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बताया कि वह चुनाव आयोग को प्रस्ताव भेजेंगी और अब आयोग की अनुमति से ही नई तिथि पर चुनाव कराए जाएंगे।
निष्कर्ष: नैनीताल जिला पंचायत चुनाव अब सिर्फ सत्ता का नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मर्यादाओं और कानून-व्यवस्था की साख का सवाल बन चुका है। हाईकोर्ट की सख्ती और आगामी सुनवाई से तय होगा कि इस पूरे घटनाक्रम में सच्चाई क्या है और जिम्मेदार कौन?