
देहरादून। उत्तराखंड में निःसंतानता के क्षेत्र में नई उम्मीद की किरण बने डॉ. प्रसाद दंपत्ति ने अपनी 25 वर्षों की यात्रा और INDO-GERMAN मॉर्फियस प्रसाद इंटरनेशनल आईवीएफ सेंटर, देहरादून के 10 वर्ष पूर्ण होने पर सोमवार को आयोजित निःशुल्क महिला परीक्षण एवं बांझपन जांच शिविर में 128 मरीजों का परीक्षण और परामर्श किया गया।
शिविर प्रसाद नवांकुर टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर, निकट रिस्पना पुल, देहरादून में आयोजित हुआ। उद्घाटन समारोह में राज्य मंत्री शोभाराम प्रजापति (माटी एवं कला आयोग), शादाब शम्स (चेयरमैन वक्फ बोर्ड), मुकेश कुमार (अध्यक्ष अनुसूचित जाति आयोग), डॉ. ऋतु प्रसाद और डॉ. हरिओम प्रसाद ने संयुक्त रूप से केक काटा।
इस दौरान डॉ. हरिओम प्रसाद ने दावा करते हुए कहा कि बीते एक दशक में सेंटर ने गढ़वाल और सुदूरवर्ती इलाकों में भी कई घरों के आंगन में किलकारियां गूंजाई हैं।
वहीं, डॉ. ऋतु प्रसाद ने बताया कि यहां इंडो-जर्मन तकनीक से उच्चस्तरीय आईवीएफ प्रणाली स्थापित की गई है। इक्सी तकनीक के जरिए सीधे शुक्राणुओं को अंडाणुओं से निषेचित कर सफलता दर को काफी बढ़ाया गया है। कई दंपत्ति जिनकी शादी को 15–20 वर्ष हो चुके थे, उन्हें भी आईवीएफ से सफलता मिली है।
शिविर में उन बच्चों ने भी शिरकत की जिनका जन्म इस सेंटर में पिछले वर्षों में हुआ था, जिन्हें राज्य मंत्री ने खिलौने वितरित किए।
कार्यक्रम में श्रवण कुमार, आकाश चौधरी, रवि यादव, अतुल गैरोला, शैली गुसाई, शाना, माही सिंह, अमित सहित कई लोग उपस्थित रहे।
निरंतर देखभाल और बेहतर परिणाम
सेंटर की काउंसलर डॉ. स्वाति मुयाल ने बताया कि आईवीएफ उपचार ART गाइडलाइंस के अनुसार किया जाता है। प्रेगनेंसी ठहरने के बाद भी पूरे 9 महीनों तक मरीज की देखभाल की जाती है ताकि स्वस्थ शिशु का जन्म हो।