उत्तराखंड में वसंत के आगमन पर फूलदेई मनाने की परंपरा, पूजैं द्वार बारंबार, फूले द्वार….

ऋषिकेश 15 मार्च। फूलेदई, छम्मा देई, दैणी द्वार, भरी भकार, ये देली स बारंबार नमस्कार, पूजैं द्वार बारंबार, फूले द्वार…. (आपकी देहरी (दहलीज) फूलों से भरी और सबकी रक्षा करने वाली (क्षमाशील) हो, घर व समय सफल रहे, भंडार भरे रहें, इस देहरी को बार-बार नमस्कार, द्वार खूब फूले-फले…)
उत्तराखंड के अधिकांश क्षेत्रों में चैत्र संक्रांति से फूलदेई का त्योहार मनाने की परंपरा है। गढ़वाल और कुमाऊं के ज्यादातर इलाकों में आठ दिनों तक यह त्योहार मनाया जाता है। वहीं, कुछ इलाकों में एक माह तक भी यह पर्व मनाने की परंपरा है।
तीर्थनगरी ऋषिकेश के आसपास के क्षेत्रों में भी होली के रंगों के बीच फूलदेई पर्व धूमधाम से मनाया गया। विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े अंतरराष्ट्रीय गढ़वाल महासभा के अध्यक्ष डॉ राजे नेगी ने बताया कि फूलदेई से एक दिन पहले पहाड़ी क्षेत्रों में शाम को बच्चे रिंगाल की टोकरी लेकर फ्यूंली, बुरांस, बासिंग, आडू, पुलम, खुबानी के फूलों को इकट्ठा करते हैं। अगले दिन सुबह नहाकर वह घर-घर जाकर लोगों की सुख-समृद्धि के पारंपरिक गीत गाते हुए देहरियों में फूल बिखेरते हैं। इस अवसर पर कुमाऊं के कुछ स्थानों में देहरियों में ऐपण पारंपरिक चित्र कला जो जमीन और दीवार पर बनाने की परंपरा भी है।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में वसंत के आगमन पर फूलदेई मनाने की परंपरा है। यह त्योहार गढ़वाल और कुमाऊं के अधिकांश क्षेत्रों में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। बच्चों से जुड़ा त्योहार होने के चलते इसे खूब पसंद भी किया जाता है। फूलदेई पूरी तरह बच्चों का त्योहार है। इसकी शुरुआत से लेकर अंत तक का जिम्मा बच्चों के पास ही रहता है। इस त्योहार के माध्यम से बच्चों का प्रकृति और समाज के साथ जुड़ाव बढ़ता है। यह पहाड़ की समृद्ध संस्कृति का पर्व है।

अंतिम दिन किया जाता है पूजन
‘घोघा माता फुल्यां फूल, दे-दे माई दाल चौंल’ और ‘फूलदेई, छम्मा देई, दैणी द्वार, भरी भकार’ गीत गाते हुए बच्चों को लोग इसके बदले में दाल, चावल, आटा, गुड़, घी और दक्षिणा (रुपए) दान करते हैं। पूरे माह में यह सब जमा किया जाता है। इसके बाद घोघा (सृष्टि की देवी) पुजा की जाती है। चावल, गुड़, तेल से मीठा भात बनाकर प्रसाद के रूप में सबको बांटा जाता है। कुछ क्षेत्रों में बच्चे घोघा की डोली बनाकर देव डोलियों की तरह घुमाते हैं। अंतिम दिन उसका पूजन किया जाता है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
नमस्कार,नेशनल खबर11 में आपका हार्दिक अभिनंदन हैं, यहां आपकों 24×7 के तर्ज पर पल-पल की अपडेट खबरों की जानकारी से रूबरू कराया जाएगा,खबर और विज्ञापन के लिए संपर्क करें- +91 9927600243,हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें साथ ही फेसबुक पेज को लाइक अवश्य करें।धन्यवाद