ऋषिकेश 27 दिसंबर। तीर्थनगरी ऋषिकेश की हृदय स्थली त्रिवेणी घाट पर गंगा किनारे गौ कथा में महिला श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। कथा के तीसरे दिन हिमालय पीठाधीश्वर गोपाल मणि महाराज ने कहा कि गौ माता की कथा प्राणी मात्र को मुक्ति प्रदान करने वाली है। बशर्ते इसे सुनने वाला सुपात्र होना चाहिए। गौमाता की कथा उन लोगों की वाणी को सुधार उसमे मिठास लाती है, जिनकी वाणी में कड़वाहट होती है ।
समस्त गौ भक्तो एवं भारतीय गौ क्रांति मंच ऋषिकेश के तत्वावधान में चल रहे गौमाता राष्ट्र माता प्रतिष्ठा अभियान के तहत धेनुमानास गौ कथा के तृतीय दिवस बुधवार को व्यास पीठ से दिव्य कथा का अमृत पान कराते हुए गोपाल मणि महाराज ने कहा कि सबको पता है एक न एक दिन मृत्यु आनी ही होती है, लेकिन मनुष्य कभी भी अपनी मृत्यु को सुन्दर बनाने के लिए कोई कार्य नहीं करता है। माया मनुष्य को सत्य से विमुख कर देती है। जब मनुष्य का मन अच्छी चीज में लगता है तभी माया कुछ ऐसा करती है जिससे मनुष्य का मन भटक जाता है और मनुष्य सत्य को मानने से मना कर देता है।
कहा कि मनुष्य के पास धन होना चाहिए। लेकिन, वह धन मनुष्य को नष्ट करने का कारण नहीं बनना चाहिए। इसलिए धन हो तो ऐसा जो मनुष्य का कल्याण कर दे। जब तक मनुष्य की आखिरी सांस न निकल जाये तब तक मनुष्य को कथा का त्याग नहीं करना चाहिए।भगवान ने जो जीवन दिया है उसका सदुपयोग करना चाहिए। जिस दिन मनुष्य का संग बिगड़ जाता है उस दिन मनुष्य का सत्संग छूट जाता है। कथा में आरके सूरी, सते सिंह गुसाईं, सुमन साधुका, बृजलाल रतूड़ी, राधेश्याम नौटियाल, कालिका प्रसाद सेमवाल आदि का सहयोग रहा।