देहरादून 10 जनवरी। उत्तराखंड के विभिन्न संस्कृत विद्यालयों-महाविद्यालयों के मानदेय से वंचित करीब 126 शिक्षकों के सब्र का अब बांध टूटने लगा है। 15 दिन के अंदर सकारात्मक कार्रवाई नहीं होने पर चरणबद्ध आंदोलन के साथ कोर्ट की शरण लेने को मजबूर होंगे।
बुधवार को उत्तराखंड के अशासकीय संस्कृत विद्यालयों/ महाविद्यालयों में प्रबन्धकीय व्यवस्था के अन्तर्गत कार्यरत मानदेय से वंचित 126 संस्कृत शिक्षकों के संगठन, संस्कृत विद्यालय-महाविद्यालय प्रबन्धकीय शिक्षक समिति उत्तराखण्ड के प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों ने संस्कृत शिक्षा निदेशक को ज्ञापन देकर मानदेय से वंचित 126 संस्कृत शिक्षको को मानदेय की सूची मे शामिल करने की गुहार लगाई। बताया कि मानदेय से वंचित संस्कृत शिक्षकों के समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। चेताया कि यदि 126 संस्कृत शिक्षकों को 15 दिनों के भीतर कोई सकारात्मक कार्यवाही दिखाई नहीं देती है तो न्यायालय की शरण में जाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
संस्कृत विद्यालय महाविद्यालय प्रबंधकीय शिक्षक समिति द्वारा इससे पूर्व मानदेय में सम्मिलित करने के बाबत धरना प्रदर्शन भी किया गया, जिसमें मात्र इनको आश्वासन ही मिला। अभी तक मानदेय की सूची में शामिल नहीं किया गया। अपने साथ हो रहे सौतेले व्यवहार को देखते हुए 126 शिक्षकों ने समिति के माध्यम से प्रदेश स्तरीय बैठक कर न्यायालय जाने का निर्णय लिया है।