सबके साथ समान प्यार, सत्कार वाला व्यवहार ही भक्ति! मंत्र मुग्ध हुईं महिला श्रद्धालु

ऋषिकेश 9 मार्च। मानव जीवन प्राप्त हुआ है तो मानवीय गुणों को अपनाते हुए सबको परमात्मा का रूप देखते हुए सबके साथ समान प्यार, सत्कार वाला व्यवहार करते जाना ही भक्ति है। किसी का नुकसान करने के लिए ही क्रोध की आवश्यकता होती है वरना संसार में सब कुछ करने के लिए प्यार ही काफी है।
शनिवार को वीरभद्र मार्ग स्थित रॉयल गार्डन में संत निरंकारी मिशन ब्रांच ऋषिकेश की ओर से आयोजित महिला समागम में मसूरी से आई ज्ञान प्रचारिका सविंदर कौर ने सतगुरु का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि मनुष्य का जीवन ईश्वर को जानने के लिए हुआ है। ईश्वर को जानकर ही जीवन में एकत्व स्थापित हो जाता है। अपने मन को ईश्वर के साथ जोड़कर ही जीवन में सुकून की प्राप्ति होती है। यह जीवन प्यार, प्रेम, सहजता, विनम्रता, मधुरता, त्याग, सेवा आदि गुणों से सुशोभित हो जाता है।
कहा कि संत हमेशा चेतन कर रहे हैं कि काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि को काबू करना है। संत का जीवन सब की भलाई के लिए होता है, जब हृदय परमात्मा से जुड़ जाता है तो परोपकार के भाव बने रहते हैं। परमात्मा से जुड़ने पर जीवन में सुकून की तलाश नहीं करनी होती वह स्वत: ही प्राप्त हो जाता है। सेवा सत्संग सुमिरन करते हुए परमात्मा पर विश्वास मजबूत होता है।
परमात्मा ही प्रेम है जिसने परमात्मा को जान लिया वह प्रेम से वंचित नहीं रह सकता। जीवन की मान्यताओं के आधार पर नहीं, सत्य के आधार पर जीवन जीना ही भक्ति है। महिला समागम में ऋषिकेश, हरिद्वार, देहरादून, बालावाला, रायवाला, भोगपुर आदि आसपास के क्षेत्र से लगभग 950 महिला श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद प्राप्त किया। संचालन उषा चौहान ने किया।

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