ऋषिकेश 23 मार्च। विश्व जल दिवस पर श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग की ओर से जल संसाधन के संरक्षण एवं प्रबंधन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। विषय विशेषज्ञों ने दो टूक कहा कि समय रहते नहीं चैते तो आगे चलकर पानी की उपलब्धता बड़ी समस्या बन जाएगी। लिहाजा जल संरक्षण के कारगर उपाय जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी आवश्यकता अनुसार पर्याप्त जल मिल सके।
शनिवार को विश्वविद्यालय के ऋषिकेश परिसर में कार्यशाला का उद्घाटन कुलपति प्रोफेसर एनके जोशी ने किया। उन्होंने प्रतिभागियों को जल संरक्षण की बारीकियो को समझाते गया हुए बताया कि उत्तराखंड में पानी के प्राकृतिक स्रोत, नाले, खाले धीरे-धीरे विलुप्तप्राय स्थिति में पहुंच रहे हैं। जल स्रोतों को जीवित रखने वाले वृक्षों की जगह नई प्रजाति की वृक्ष स्थान ले रहे हैं जिस कारण जल की उपलब्धता एक समस्या का रूप धारण करती जा रही है। उन्होंने प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को आह्वन किया कि वह इस सामूहिक संपत्ति की रक्षा करने में अपना योगदान दें। जल को संरक्षित एवं सुरक्षित करें जिससे हमारे आने वाली पीढियां की भी पर्याप्त मात्रा में जल की आवश्यकता पूरी हो सके और भूजल स्तर बराबर बना रहे। ऋषिकेश परिसर के निदेशक प्रोफेसर महावीर सिंह रावत द्वारा जल संरक्षण की विभिन्न तकनीको के बारे में जानकारी दी गई। छात्रों को अवगत कराया की वैश्विक तापन का प्रभाव हमारे हिमालय जिसे वॉटर टावर के रूप में जाना जाता है उसमें स्थित हिम धीरे-धीरे कम होती जा रही है, जिस कारण भविष्य में हिमालय से निकलने वाली नदियों की जलस्तर में कमी आ सकती है और इससे मानव जीवन को खतरा पैदा हो सकता है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से बचने के लिए विभिन्न उपायों की बारे में विस्तार से चर्चा की ।कार्यशाला आयोजक एवं विश्वविद्यालय की भूगोल विभाग अध्यक्ष कला संकाय डीन एवं सेंटर आफ एक्सीलेंस डिजास्टर मैनेजमेंट के निदेशक प्रोफेसर डीसी गोस्वामी ने विस्तार से चर्चा करते हुए अफ्रीका की नील नदी का उदाहरण देते हुए बताया कि पृथ्वी पर कुल 2.07% स्वच्छ पीने योग्य जल है और धीरे-धीरे यह भी कम होता जा रहा है, जलस्तर गिरता जा रहा है, इसी कारण अधिकांश विश्व की बड़े शहरों में जल संकट के कारण डे जीरो मनाया जा रहा है। कार्यशाला में मुख्य वक्ता प्रोफेसर केसी पुरोहित सेवानिवृत निर्देशक हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय परिसर पौड़ी ने छात्रों को विस्तार से जल संसाधन की उपलब्धता उनके बचाव के बारे में विस्तृत जानकारी दी। भूगोल विभाग की डॉ. अरुणा सूत्रधार ने सभी अतिथियों का आभार जताया। मौके पर प्रो.अंजनी प्रसाद दुबे, डॉ.केदार सिंह बिष्ट, प्रो. कंचन लता, डॉ. अनीता तोमर, योग विभाग की प्राध्यापक एवं एमपी सिंह, कैलाश, नीरज आदि मौजूद रहे।