अपने इमोशन को कैसे कंट्रोल करें? जीवन में भटकाव पर युवाओं ने पूछे सवाल

ऋषिकेश 14 मई। युवाओं में बढ़ते तनाव एवं डिप्रेशन जैसी परेशानी के मद्देनजर एम्स,ऋषिकेश के कम्युनिटी एंड फेमिली मेडिसिन विभाग आउटरीच सेल के तत्वावधान में आयोजित युवा जोश नामक यूथ वैलनेस प्रोग्राम के तहत अब तक 5000 से अधिक युवाओं से विमर्श के बाद उन्हें सुसाइड जैसे विचारों से उत्पन्न समस्याओं से निजात दिलाई गई है।
आवास विकास कॉलोनी स्थित सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में आयोजित युवा जोश यूथ वैलनेस कार्यक्रम में बोर्ड परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को सम्मान से नवाजा गया। संस्थान के सीएफएम विभाग के अपर आचार्य एवं आउटरीच सेल के नोडल अधिकारी डॉ. संतोष कुमार की पहल पर सेल की ओर से इस तरह के कार्यक्रम युवाओं के मध्य उन्हें सकारात्मकता की ओर प्रेरित करने के लिए बीते कई वर्षों से चलाए जा रहे हैं, जिसमें आईआईटी, मेडिकल पृष्ठभूमि, विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा स्कूलों के छात्र-छात्राएं शामिल है। बताया गया कि यूथ वैलनेस युवा जोश प्रोग्राम युवाओं में मानसिक, शारीरिक तथा आध्यात्मिक स्वास्थ्य के माध्यम से नशा, तनाव, रिलेशनशिप, स्ट्रेस मैनेजमेंट आदि विकारों पर नियंत्रण करना सिखाता है।
डॉ. संतोष कुमार के अनुसार युवा जोश यूथ वैलनेस कार्यक्रम के तहत विभिन्न शैक्षणिक संस्थनों में अब तक आयोजित की गई कार्यशालाओं में जीवन में विभिन्न कारणों, स्ट्रैस, तनाव, पढ़ाई में आने वाली कठिनाइयों, पारिवारिक कमजोर आर्थिक कारणों आदि वजहों के समाधान के मद्देनजर युवाओं के मन में निम्नलिखित सवाल आए हैं जो उन्होंने कार्यशाला में प्रतिभाग के दौरान डॉ. संतोष कुमार से पूछे हैं, जिनका उन्हें उचित निस्तारण दिया गया। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य उमाकांत पंत, आचार्य राजेश पांडे, एम्स आउटरीच सेल के सूरज सिंह राणा आदि मौजूद थे।

युवाओं ने रखे यह सवाल
सवाल 1- जिंदगी को सही मायने में कैसे जीना है।
जिंदगी जीने के लिए हमें अपनी सोच को सकारात्मक रखना होगा और ईश्वर ने हमें सोचने की जो ताकत दी है वह हमें नए विचारों से प्रभावित कर हमे जिंदगी जीने की कला सिखाती है। इसलिए विद्यार्थियों को इस उम्र में अच्छे दोस्त बनाने चाहिए तथा बुरी संगत और खराब विचारों वाले लोगों से दूर रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि जिंद्गी में दो प्रकार की खुशी होती है। शॉर्ट टर्म हैप्पीनेस (अल्पकालिक खुशी) तथा लॉंग टर्म हैप्पीनेस (दीर्घकालिक खुशी)। कम समय की खुशी में हमें अपने मन के छोटे मोटे कार्य पूर्ण होने पर मिलती है, जबकि लॉंग टर्म खुशी हमारे बड़े लक्ष्यों की प्राप्ति होने पर मिलती है, जो हमें लंबे समय तक खुश रखती है।
सवाल 2- प्रेम प्रसंग तथा रिलेशनशिप कैसे निभाएं?
जीवन जीने की कला को सीखना बहुत आवश्यक है। आपका उद्देश्य ही आपकी आने वाली जिंदगी के मार्ग को प्रशस्त करता है। प्रेम प्रसंग गलत नहीं है, लेकिन क्या यह आपके लक्ष्य मार्ग की बाधा बन रहा, आपके फोकस को डिस्टर्ब कर रहा है। तो प्रेम प्रसंग के लिए यह सही समय नहीं है। अगर आप इसका संतुलन बना सकते हैं तो आप यह भी कर सकते हैं।
सवाल 3- मादक पदार्थों से कैसे दूर रहें?
जीवन में खुशी जरूरी है, मगर खुशी के चलते किसी के बहकावे में नहीं आएं। जिससे किसी भी मादक पदार्थ की आदत नहीं लगे। अक्सर यह देखा गया है कि विद्यार्थी जीवन में बच्चे खुशी में दोस्तों के साथ पार्टी करते हुए नजर आते हैं, देखा जाए तो यह हमारी जिंदगी के लिए थोड़े समय के खुशी के पल होते हैं मगर क्षणिक समय की इस खुशी के चलते भविष्य में इसकी लत लगने से जीवन बर्बाद हो जाता है। ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए हमें अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति को मजबूत बनाना होगा। यदि आप बच्चों में निम्नलिखित में से कोई लक्षण देखते हैं मसलन असामान्य व्यवहार, डिप्रेशन, दोस्त बदलना, कम अंक लाना तो ऐसी परिस्थिति में बच्चों और चिकित्सक से बात करें तथा उचित चिकित्सकीय परामर्श लें।
सवाल 4- तनाव से कैसे बचें?
तनाव से बचने की आवश्यकता नहीं है, उसका डटकर सामना करना है। कुछ लोग तनाव में आकर खुदखुशी करते हैं जोकि गलत है। तनाव आपको अधिकतम कार्य करने के लिए प्रेरित करता है साथ ही आपमें क्षमता का भी विकास करता है। अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए और लक्ष्य पर फोकस करना चाहिए। अगर रुटीन लाइफ में तनाव किसी तरह की बाधा उत्पन्न कर रहा है, जैसे खान-पान, सोने में परेशानी, चलने में परेशानी तो ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द चिकित्सक से मिलकर परामर्श लेना चाहिए।
सवाल 5- कॅरियर की प्लानिंग कर रहे हैं, तो आगे की तैयारी कैसे करें?
डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि जिंदगी में आपने जो भी फील्ड चुना है, उस विषय से संबंधित लोगों से राय ले सकते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि आप डॉक्टर बनना चाहते हैं तो किसी चिकित्सक से मिलें और उनसे सलाह लें और इस बारे में उनसे विस्तृत चर्चा करें। अपनी जिज्ञासा से जुड़े सभी सवालात उनसे करें, जिससे आपको प्रश्नों का समाधान के साथ साथ आगे की गाइडलाइन भी मिल सके।
सवाल 6- हमें किस तरह कार्य करना चाहिए, कि जिनसे एक सीख अथवा अनुभव प्राप्त हो सके?
जिंदगी में हम कर्म करते हैं तो उससे हमें अनुभव प्राप्त होता है। अगर आप कोई अच्छा कार्य कर रहे हैं तो आपको उसका सुखद अनुभव प्राप्त होगा, मगर यदि आप बुरे कर्म कर रहे हैं तो उसका बुरा अनुभव मिलेगा। ऐसे में यदि आपको बुरे कर्म और बुरे अनुभव की आदत लग जाए, तो समझ लीजिए आपका पतन धीरे-धीरे शुरू होने जा रहा है, इसलिए ऐसे बुरे कार्यों की आदत नहीं लगानी चाहिए। लिहाजा हमें सकारात्मक सोच के साथ अच्छे कार्य कर अच्छे अनुभव प्राप्त करने होंगे। उन्होंने बताया कि ऐसी चीजों का अनुभव करें जो लाभदायक हों, जिससे हमारा दिमाग हमें अपने लक्ष्य के लिए फोकस करे।
सवाल 7- अपने इमोशन को कैसे कंट्रोल करें?
चिकित्सक के अनुसार आजकल हमारी जिंदगी में इमोशन होना आम बात सी हो गई है, मगर यदि इमोशन पर आपका कंट्रोल नहीं है तो इसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं। लिहाजा इमोशन से किसी तरह की परेशानी से बचने के लिए कुछ लोग इसको प्रैक्टिकली डील करते हैं, जबकि कुछ लोग व्यायाम और मेडिटेशन से इसका हल निकालते हैं। गौर करने वाली बात यह भी है कि यदि हम इमोशन पर कंट्रोल पा सकते हैं तो हमारी काफी परेशानियां इससे कम हो जाती हैं। लिहाजा हमें अपने पसंदीदा कार्य कर खुश रहना चाहिए तथा इमोशन पर नियंत्रण रखने के लिए हमें अपनी छोटी सी छोटी खुशी का भी जश्न मनाना चाहिए।
सवाल 8- एक्शन से शुरू हो रहे हैं एडिक्शन तक जा रहे हैं, तो हम ऐसा क्या करें कि वापस आ सकें?
चिकित्सक के अनुसार जब भी हम कोई एक्शन करते हैं और अनुभव लेते हैं तो वह हमारे दिमाग में रह जाता है। इसी तरह हम कोई भी एक्शन बार-बार करते हैं, तो यह प्रक्रिया हमारा दिमाग करता है तो हमें अटैचमेंट ज्यादा होने लगता है,लिहाजा हम दूसरों की परवाह न करते हुए अपने एक्शन को रोक नहीं पाते हैं, लिहाजा इसे ही लत कहते हैं। युवावस्था में मादक पदार्थों का सेवन, इंटरनेट एडिक्शन, लव अफेयर यह सभी बातें गाहे बगाहे आपकी लाइफ में आएंगे ही, ऐसे में यह आपको तय करना है कि क्या मुझे ऐसा अनुभव करना है या नहीं? यह आपके ऊपर निर्भर है। बिना किसी उद्देश्य के कुछ भी कार्य नहीं हो सकता है, यदि उद्देश्य है तो बुरी चीजों का अनुभव करना जरूरी नहीं है और अपने उद्देश्य पर फोकस करना है। एडिक्शन या आसक्ति होने पर यहां से वापस जाना बहुत मुश्किल है, लेकिन प्रारंभ में ही कोशिश करने पर लत या एडिक्शन पर विजय प्राप्त की जा सकती है।

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