ऋषिकेश। छठवीं गढ़वाल राइफल्स के 60वां फिलोरा दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान राइफल्स के वीर सपूतों के शौर्य को याद किया गया। बतौर मुख्य अतिथि जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि रमन रांगड़ ने गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंट का गौरवशाली इतिहास रहा है और छठवीं गढ़वाल राइफल्स में अनेको लड़ाई लड़ी जिसमें उत्तराखंड के वीर सपूतों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए भारत मां का तिरंगे का गौरव बढ़ाया है।
रायवाला स्थित एक वेडिंग पॉइंट में देवभूमि ऋषिकेश सैनिक की ओर से आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि सब नगर रांगड़ ने विक्टोरिया क्रॉस राइफलमैन गब्बर सिंह की प्रतिमा में पुष्पांजलि अर्पित कर शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि आज इस प्रकार से सेवानिवृत होने के बाद फिलोरा दिवस मनाना और आर्मी सेवा के दोनों को याद करने का सुनहरा अवसर मिला है, निश्चित ही आप सभी सैनिक बधाई के पात्र हैं। सभी भारत माता के वीर सपूतों को नमन करता हूं। इस दौरान विभिन्न वक्ताओं ने अपने सैनिक सेवा काल के अनुभव को सभी के सामने साझा किया।
कार्यक्रम का संचालन हवलदार रामस्वरूप भट्ट तथा रंजन सिंह रांगड़ ने संयुक्त रूप से किया। मौके पर सूबेदार सुंदर सिंह रावत, सूबेदार मेजर राकेश सिंह, नायक पूर्णानंद रतूड़ी, सूबेदार रधुबीर सिंह, ध्यान सिंह असवाल, जनार्दन सेमवाल, भादूराम भट्ट भगवान सिंह, शंकर देव, कृपाल सिंह, अनिल चंद रमोला, बलराम गौनियाल, जयप्रकाश, पंचम सिंह, धनवीर सिंह राणा, ध्रुव सिंह पंवार, राकेश कुकरेती, हवलदार कुलानंद पंत, नायक मनीष ध्यानी, हवलदार ध्यानेंद्र सिंह, ऑनर नायब सूबेदार गुलाब सिंह हवलदार विक्रम भंडारी, नायक सूबेदार धियानेंद्र सिंह, हवलदार महेश कुकरेती, ऑनर कैप्टन राम लक्ष्यपाल सिंह हवलदार जितेंद्र लखेड़ा आदि पर्व सैनिक उपस्थित रहे।
👉जानिए राइफल्स रेजीमेंट का गौरवशाली इतिहास
छठवीं गढ़वाल राइफल्स की स्थापना 1 जनवरी 1963 को हुई जिसके दो वर्ष बाद सितंबर 1965 को इस रेजीमेंट को भारत मां की सेवा करने का अवसर भारत-पाकिस्तान युद्ध के रूप में मिला इस इसरेजीमेंट ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए इस युद्ध में भारत की विजय पताका फहराते हुए पाकिस्तान को हराया जिसके लिए 13 सितंबर 1965 भारत-पाकिस्तान जीत लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए उन्हें बैटल ओनर फिलोरा से नवाजा गया, इसी प्रकार अनेको महत्वपूर्ण लड़ाईयों में इस बटालियन का योगदान रहा, जिसमें इस रेजीमेंट के अनेकों वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। इस रेजीमेंट को दो बार थल सेनाध्यक्ष दो बार आर्मी कमांडर प्रशास्ति पत्र से नवाजा गया।