डोईवाला (भारत गुप्ता)। असत्य पर सत्य की जीत दशहरा पर्व डोईवाला और आसपास के क्षेत्र में 12 अक्टूबर यानी शनिवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके लिए तैयारियां जोर-जोर से चल रही हैं। हिंदू और मुस्लिम कारीगर लंकापति रावण, उसके बेटे मेघनाथ के प्रतीकात्मक विशाल पुतले बनाने में जुटे हैं। दशहरा पर ऊपर शाम ढलते ही लंकेश और उसके परिवार के सदस्यों समेत सोने की लंका धू-धू कर जलेगी जिसके हजारों लोग गवाह बनेंगे।
डोईवाला नगर के केशवपूरी दशहरा मेला मैदान में होने वाले रावण दहन को लेकर पुरकाजी से आए पुतले बनाने वाले कारीगर दिन रात रावण, मेघनाथ के पुतले बनाने में जुटे हुए हैं।
डोईवाला में पिछले 23 सालों से रावण के पुतले बनाने वाले पुरकाजी निवासी मोहम्मद अली उर्फ गुड्डू ने बताया कि वह 2001 में डोईवाला में पहली बार रावण बनाने के लिए आए थे, हर वर्ष डोईवाला वासियों का प्यार उन्हें दशहरा पर्व के मौके पर यहां खींच लाता है। उन्होंने बताया कि लगातार रावण और उसके परिवार के पुतले बनाते आ रहे हैं। रावण, मेघनाथ के पुतलो के अलावा सोने की लंका बनाने के लिए लगभग पांच कारीगर दिन-रात जूटे हुए हैं। कारीगरों में अधिकतर हिंदू और मुस्लिम हैं। आपसी भाईचारा कायम रखने के उद्देश्य से ही हम मिलकर पुतला बनाने का काम करते हैं। उनका कहना है कि वह इस काम को भविष्य में भी एक साथ मिलकर जारी रखेंगे। दशहरा पर्व पर पुतले बनाने में आर्थिक लाभ तो मिलता ही है साथ ही उन्हें भाईचारा को बनाए रखने का मौका भी मिलता है। उन्होंने बताया कि पुतला बनाने में कई दिनों की मेहनत लगती है जो कि कुछ पलों में धू धू कर जल जाते हैं। लेकिन, उनको बुराई पर अच्छाई की जीत पर बहुत खुशी महसूस होती है। बताया कि उनके साथ प्रदीप, रवि, जॉनी, राजू पुतला बनाने में सहयोग कर रहे हैं। कारीगरों के माध्यम से पुतलों को अंतिम रूप दिया जा रहा है! इसके अलावा उनका परिवार देहरादून के अलावा राजस्थान, रुड़की,,श्रीनगर, लुधियाना में भी वह पुतलों को तैयार करते हैं यह काम करके उनको मानसिक शांति मिलती है।
विजयदशमी पर्व: लंकेश के साथ धू-धू कर जलेगी सोने की लंका! प्रतीकात्मक पुतले बनाने में जुटे हिंदू-मुस्लिम कारीगर
