देहरादून। श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. पीतांबर प्रसाद ध्यानी ने पर्वतराज हिमालय के चौमुखी विकास के लिए सरकार को दिये 7 महत्वपूर्ण सुझाव में पर्वतीय विकास मंत्रालय की स्थापना मुख्य है।
पूर्व कुलपति ध्यानी ने यह सुझाव 21 और 22 दिसंबर को देहरादून में देवभूमि विकास संस्थान की ओर से आयोजित गंग धारा विचारों का अविरल प्रवाह व्याख्यान माला में दिये। इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, आचार्य महामंडलेश्वर जूना अखाड़ा अवधेशानंद गिरी, राज्यपाल उत्तराखंड लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, राज्यपाल केरल आरिफ मोहम्मद खान आदि मौजूद रहे।
दो दिवसीय व्याख्यान माला के तीन सत्रों में दो दिवसीय व्याख्यान माला के ३ सत्रों में दूसरा सत्र हिमालय क्षेत्र में सतत विकास पर केंद्रित था। इस सत्र में दो वक्ताओं पूर्व कुलपति हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय एसपी सिंह और पूर्व महानिदेशक आईसीएफआरआई डा. एएस रावत ने व्याख्यान दिए। सत्र की अध्यक्षता करते हुए पूर्व कुलपति श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय डॉ. पीताम्बर प्रसाद ध्यानी ने विश्व में पर्वतों व हिमालय की स्थिति, भारतीय हिमालय क्षेत्र व इसकी चुनौतियों और चुनौतियों के समाधान के लिए हुई प्रगति के बारे में विस्तृत रूप से अवगत कराया। इस दौरान उन्होंने हिमालय के चहुंमुखी विकास के लिए 7 महत्वपूर्ण सुझाव दिये, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय हिमालय दिवस की घोषणा, राष्ट्रीय हिमालय नीति बनाने, पर्वतीय विकास मंत्रालय की स्थापना, हिमालयी अध्ययन विश्वविद्यालय की स्थापना, वर्ल्ड हिमालयन कांग्रेस और अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय हिमालय दिवस घोषित होना, वर्ल्ड हिमालयन फोरम’ की स्थापना है। डा. ध्यानी ने तर्क दिया कि यदि ऐसे प्रयास राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शुरू होते हैं तो ‘पर्वतराज हिमालय सम्पूर्ण विश्व की मुख्य प्राथमिकता में आ जायेगा और दुनिया के द्वार हिमालय के सतत विकास के लिए हमेशा के लिए खुल जायेंगे। बता दें कि डॉ. ध्यानी पिछले कई सालों से हिमालय क्षेत्र में अनुसंधान और विकासात्मक कार्य कर रहे हैं।