
ऋषिकेश, 11 जून। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रख्यात आध्यात्मिक मार्गदर्शिका, डॉ. साध्वी भगवती सरस्वती का 25वां सन्यास दीक्षा रजत जयंती समारोह परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में भव्यता के साथ संपन्न हुआ।
यह कार्यक्रम साध्वी की भक्ति, साधना और सेवा से ओतप्रोत 30 वर्षों की गौरवशाली आध्यात्मिक यात्रा को समर्पित रहा। उनके सन्यास जीवन की यह दिव्य गाथा न केवल प्रेरणादायी रही, बल्कि आज के युग में अध्यात्म की शक्ति का जीवंत प्रमाण भी बनी।
समारोह में परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा “भारत में जन्म लेना दुर्लभ है और संतों का दर्शन और भी दुर्लभ। साध्वी भगवती सरस्वती ने हॉलीवुड में जन्म लिया, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में शिक्षा प्राप्त की, लेकिन जीवन की सच्ची प्राप्ति भारत आकर की।” उन्हें 1996 में मानसरोवर की धरती पर पूज्य स्वामी गुरूशरणानन्द महाराज द्वारा सन्यास दीक्षा मिली थी। 351 पूज्य संतों के पावन सान्निध्य में उन्हें “भगवती” नाम प्राप्त हुआ।
🧘♀️ सेवा के साथ साधना — एक चिकित्सा शिविर
इस विशेष अवसर पर मेदान्ता द मेडिसिटी हॉस्पिटल, गुड़गांव के सहयोग से दो दिवसीय निःशुल्क मल्टीस्पेशलिस्ट चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। इसमें सैकड़ों संतों, तीर्थयात्रियों एवं स्थानीय नागरिकों को लाभ मिला।
📚 हिन्दू धर्म विश्वकोश में साध्वी का योगदान
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने 2010 के महाकुंभ एवं हिन्दू धर्म विश्वकोश के संपादन में साध्वी के योगदान को याद करते हुए कहा कि: “उन्होंने 18 से 20 घंटे प्रतिदिन सेवा की। यह उनकी सनातन साधना का ही परिणाम है।”
🎙️ साध्वी का हृदयस्पर्शी वक्तव्य
डॉ. साध्वी भगवती सरस्वती जी ने अपने उद्बोधन में कहा “मैंने कभी नहीं सोचा था कि इतना दिव्य, पवित्र संसार भी हो सकता है। लोगों को लगता है कि मैंने अमेरिका छोड़ दिया, पर सच तो यह है कि मैंने सब कुछ पाया है। मेरा जीवन भारत माता, गंगा माता और धरती माता को समर्पित है। जीवन साधना से महान बनता है, साधनों से नहीं।”
🌟 कार्यक्रम में शामिल हुए प्रमुख संत एवं विशिष्ट अतिथि: महामंडलेश्वर स्वामी राजेन्द्र दास महाराज, योगऋषि स्वामी रामदेव, महामंडलेश्वर स्वामी रविन्द्र पुरी, आचार्य बालकृष्ण, डॉ. चिन्मय पाण्ड्या, डा. हरिओम पवार, जगदीश मित्तल, विनोद बागरोड़िया सहित कई संत, विद्वान और सेवाभावी जन उपस्थित रहे।