
ऋषिकेश, 13 जून। सपना दिखाया गया “पैसे डबल करने” का और अब हकीकत में दुगना हो गया दर्द। लोनी अर्बन मल्टी-स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट को-ऑपरेटिव सोसाइटी (एलयूसीसी) के अचानक गायब होने से उत्तराखंड के हजारों परिवारों की जमा-पूँजी हवा हो गई है।
ऋषिकेश प्रेस क्लब में शुक्रवार को पीड़ित प्रमिला रावत, सुमन चमोला, संजय बर्थवाल, उषा रावत और जय सिंह जुगतवाण ने पत्रकारवार्ता की, जिसमें उन्होंने कहा, “गिरीश चंद्र बिष्ट नामक शख्स ने 2017 में IDPL क्षेत्र से पहली ब्रांच खोली। शुरू में गरीब-महिलाओं और पहाड़ी मूल के लोगों को ‘सरकारी मान्यता’ का भरोसा देकर जोड़ लिया। अब वही एजेंट और हम निवेशक दर-दर भटक रहे हैं।”
बताया कि कैसे बुना गया जाल। कृषि और सहकारी मंत्रालय-पंजीकरण का प्रमाण दिखाकर बचत योजना चलायी। उच्च ब्याज व ‘डबल रिटर्न’ का लालच दिया।
स्थानीय एजेंट का नेटवर्क फैलाया जिन्होंने रिश्तेदार-दोस्तों से सोसाइटी में निवेश कराया। पीड़ित सुमन चमोला ने ऋषिकेश में 15–25 एजेंट हैं, जिनके लगभग 1 लाख निवेशकों के अनुमानित धनराशि 350 करोड़ से अधिक फंसे होने का दावा किया है।
बताया कि 28 अक्टूबर 2024 को पोर्टल-ब्रांच अचानक बंद; प्रबंधन फरार। मौजूदा हालात यह है कि श्रीनगर गढ़वाल में 85 दिन और ऋषिकेश IDPL में 25 दिन से धरना-प्रदर्शन जारी है।
चेतावनी: तय समयसीमा में हल न निकला तो हर तहसील में धरना
पीड़ित प्रमिला रावत ने बताया कि 11 जून को प्रतिनिधिमंडल ने सीएम धामी से भेंट की। “मुख्यमंत्री ने 20 दिन में ठोस कदम का आश्वासन दिया है। चेताया कि यदि तय समय में न्याय नहीं मिला तो हम प्रदेश की हर तहसील में धरना देंगे—यह सिर्फ ऋषिकेश-श्रीनगर का मुद्दा नहीं, प्रदेश की जनता का सवाल है।”
केंद्रीय सहकारिता मंत्री हस्तक्षेप की मांग
पत्रकारवार्ता में पीड़ितों ने केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह से मामले का संज्ञान लेकर मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव कानून के तहत सख्त कार्रवाई की मांग की। साथ ही सवाल उठाया कि, “जब इतने बड़े स्तर पर धन इकट्ठा हो रहा था तो प्रशासन और स्थानीय खुफिया इकाईयां क्या कर रही थीं?”