“बाहरी ख़रीद-फरोख़्त पर फ़ुल-स्टॉप, जन-सम्पत्ति जनता के नाम”, 900 बीघा ज़मीन पर प्रशासन का कब्ज़ा

देहरादून, 13 जून। रिपोर्टर: न्यूज़ डेस्क

मुख्य बिंदु

900 बीघा भूमि राज्य सरकार में निहित; 260 मामलों का निपटारा
200 बीघा पर कार्रवाई जारी, 15 जुलाई तक पूरा कब्जा-वापसी लक्ष्य
धारा 166/167 के नोटिस भर नहीं—फ्रंट-फ़ुट पर सख़्त क़दम
बिना अनुमति या गलत उपयोग में ली गई जमीनें राज्य हित में वापस

विस्तृत ख़बर

उत्तराखंड सरकार द्वारा लागू किये गये कड़े भू-कानून को जमीन पर उतारते हुए देहरादून जिला प्रशासन ने अब तक लगभग 900 बीघा भूमि पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया है।
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट सविन बंसल की अगुआई में शुक्रवार को हुई समीक्षा बैठक में बताया गया कि 260 प्रकरण तेज़ी से निपटाए गए, जबकि 75–80 शेष मामलों में 200 बीघा ज़मीन अगले 30 दिन में राज्य सरकार में निहित करने का लक्ष्य तय है। प्रशासन ने साफ़ कर दिया है कि धारा 154, 4(3)(क)(ख) और 166/167 का उल्लंघन करने वालों को अब सिर्फ नोटिस नहीं, बल्कि त्वरित ज़मीन-कब्ज़ा वापसी का सामना करना होगा। समन तामिली में देरी रोकने के लिए अख़बारों में सार्वजनिक नोटिस प्रकाशित कराए जा रहे हैं ताकि “पर्याप्त सुनवाई” का अवसर देने के बाद अंतिम आदेश पर कोई रोक न लग सके।

कार्रवाई का ब्लूप्रिंट

1. प्रकरण छंटनी 260 केस पूरे
2. भूमि निहित 900 बीघा पूरी
3. शेष सुनवाई 75–80 केस चल रही
4. अंतिम कब्जा 200 बीघा 15 जुलाई तक

क्यों ज़रूरी है यह अभियान?

भूमि मूल्य आसमान छू रहा था, स्थानीय नागरिकों की पहुँच से बाहर।
नियम तोड़कर खरीदी गई जमीन पर फार्म-हाउस व होम-स्टे उग आये थे।
अनियंत्रित खरीद-फरोख़्त से पर्यावरणीय दबाव और सांस्कृतिक असंतुलन।

आगे का रास्ता

1. अत्यधिक भूमि खरीद पर पूर्ण मॉनिटरिंग
2. डिजिटल पोर्टल पर रियल-टाइम अपडेट
3. हर प्रकरण की जन-सूचना के लिए सार्वजनिक डैशबोर्ड
4. पर्यावरणीय एवं सांस्कृतिक प्रभाव-आकलन अनिवार्य

मुख्यमंत्री के निर्देश पर लैंड-स्कैम मामलों को फास्ट-ट्रैक कोर्ट में सुना जा रहा है। सख़्त भू-कानून ने बाहरी निवेशकों के “कपट दुस्साहस” पर लगाम कस दी है। डीएम ने तहसीलों को आदेश दिया है कि राजस्व वसूली भी तेज़ करें और बड़े बकायेदारों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करें।

देहरादून प्रशासन ने यह स्पष्ट संकेत दे दिया है कि राज्य की भूमि, राज्य के लिए—और इस मिशन में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं होगी। 15 जुलाई से पहले-पहले बाकी 200 बीघा पर “प्रशासन का परचम” फहराने का लक्ष्य अब मात्र औपचारिकता रह गया है।

> “राज्य की हर इंच ज़मीन जनता की समृद्धि के लिए है। बिना अनुमति या ग़लत उपयोग पर अब कोई रियायत नहीं।”
— सविन बंसल, डीएम देहरादून

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