“बदलाव गढ़ो, जो तुम देखना चाहते हो” – उपराष्ट्रपति धनखड़ का युवाओं को भविष्य निर्माता बनने का आह्वान

नैनीताल | 27 जून। “अपने लक्ष्य को संकीर्ण मत बनाइए, आत्मकेंद्रित मत बनाइए… राष्ट्र, समाज और मानवता के लिए जिएं” – यह संदेश उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उत्तराखण्ड के प्रतिष्ठित शेरवुड कॉलेज के 156वें स्थापना दिवस समारोह में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए दिया।
अपने प्रेरणादायक संबोधन में उपराष्ट्रपति ने कहा, “भारत केवल एक देश नहीं, एक जीवंत विरासत है जिसकी जड़ों में 5,000 वर्षों की सांस्कृतिक गहराई है। इसे बिना शर्त राष्ट्रवाद की आवश्यकता है। जो छात्र यहां पढ़ रहे हैं, वे सौभाग्यशाली हैं – शिक्षा एक ईश्वरीय वरदान है, और उसकी पहुंच, गुणवत्ता और affordability किसी लोकतंत्र की रीढ़ होती है।”
उपराष्ट्रपति ने तेजी से बदलती दुनिया का ज़िक्र करते हुए युवाओं को चेताया, “दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। हमें वह परिवर्तन लाना है जिसकी आवश्यकता है, वही गढ़ना है जो हम चाहते हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत आज सबसे अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं वाला देश है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों के साथ कदम मिलाना अब ज़रूरी है। कहा “विकसित भारत हमारा सपना नहीं, हमारा लक्ष्य है।समारोह में कुमाऊं मंडल आयुक्त व मुख्यमंत्री सचिव दीपक रावत, आईजी कुमाऊं रिद्धिमा अग्रवाल, डीएम वंदना, एसपी प्रहलाद नारायण मीणा और प्रधानाचार्य अमनदीप सिंह संधू सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

“बच्चों को अपनी राह चुनने दीजिए”

अपने भाषण में उपराष्ट्रपति ने माता-पिता से भी विशेष अपील की – “अपने बच्चों की राह खुद तय मत कीजिए। उन्हें अपने सपनों को पहचानने दीजिए। यदि आप उन पर अपने लक्ष्य थोपेंगे, तो वे केवल पैसे और सत्ता के पीछे दौड़ेंगे। फिर वैज्ञानिक, खगोलशास्त्री, नीति निर्माता कहां से आएंगे?”

“विरासत सिर्फ प्रेरणा नहीं, जिम्मेदारी है”

धनखड़ ने संस्थान के गौरवशाली पूर्व छात्रों – मेजर सोमनाथ शर्मा, फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और अभिनेता अमिताभ बच्चन का उल्लेख करते हुए कहा, “आप महान विरासत की छाया में हैं। अब यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप नए मानक स्थापित करें।”

“शेरवुड – शिक्षा नहीं, चरित्र निर्माण की प्रयोगशाला है”: राज्यपाल

उत्तराखण्ड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से नि) गुरमीत सिंह ने कहा कि शेरवुड कॉलेज केवल एक शैक्षणिक संस्था नहीं, बल्कि एक जीवंत विरासत है। यहां से निकला हर छात्र जब राष्ट्र निर्माण की भावना से प्रेरित होकर कार्य करता है, तभी शिक्षा सार्थक होती है।” उन्होंने छात्रों से आग्रह किया, “आपका चरित्र आपकी सबसे बड़ी पहचान है, और आपका समर्पण इस राष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत।”

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