ऑपरेशन कालनेमि: धर्मांतरण के अंतरराष्ट्रीय गिरोह का खुलासा, पाकिस्तान, दुबई और दिल्ली तक फैला नेटवर्क

देहरादून, 26 जुलाई। उत्तराखंड पुलिस के “ऑपरेशन कालनेमि” के तहत एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। देहरादून में अवैध धर्मांतरण के एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें पाकिस्तान और दुबई तक के तार जुड़े पाए गए हैं। पुलिस ने उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2018 के तहत दो गंभीर अभियोग दर्ज किए हैं।
पुलिस के मुताबिक जांच में पता चला कि यह नेटवर्क न सिर्फ अंतरराज्यीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रिय है। गिरोह पाकिस्तान के मौलवियों के ज़रिए ज़ूम ऐप पर कुरान की शिक्षा दिलवाता था। पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि पाकिस्तान और दुबई से अवैध फंडिंग की जा रही थी। पाकिस्तानी मौलवियों को पैसा पहुंचाने के लिए भारतीय खातों का उपयोग किया जाता था।

पीड़िता के अजीब व्यवहार से हुआ पर्दाफाश

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह के मुताबिक रानीपोखरी निवासी एक व्यक्ति ने 18 जुलाई 2025 को अपनी 21 वर्षीय बेटी के बदले व्यवहार की शिकायत पुलिस से की थी। जांच में खुलासा हुआ कि कुछ मुस्लिम युवक और एक महिला—जिनमें से कई पहले हिंदू थे—उनकी बेटी को धर्मांतरण के लिए बहला-फुसलाकर ब्रेनवॉश कर रहे थे।

बरेली की युवती “सुमैया” का मामला भी आया सामने

पूछताछ में एक और पीड़िता “सुमैया” का नाम सामने आया जो मूलतः बरेली की रहने वाली है और देहरादून पढ़ाई के लिए आई थी। गणित में स्नातक और फाइन आर्ट्स में मास्टर्स कर चुकी यह युवती एक मुस्लिम सहेली के संपर्क में आकर इस्लाम में रुचि लेने लगी। उसे ज़ूम ऐप पर कुरान की क्लास दी गई और सोशल मीडिया के माध्यम से पाकिस्तान, दुबई और कश्मीर से संपर्क कराया गया।

गिरोह की मोडस ऑपरेंडी: अकेली लड़कियों को निशाना बनाना

एसएसपी ने पत्रकारवार्ता में बताया कि गिरोह उन युवतियों को निशाना बनाता था जो परिवार से अलग-थलग पड़ी होती थीं। सहानुभूति और विश्वास का माहौल बनाकर उन्हें इस्लाम धर्म की अच्छाइयों से प्रभावित किया जाता और अंततः उन्हें घर से भागने के लिए उकसाया जाता। यही नहीं, लूडो स्टार जैसे पाकिस्तानी गेमिंग ऐप्स से लड़कियों की पहचान मौलवियों और इस्लाम प्रचारकों से करवाई जाती थी। उन्हें ‘रिवर्टेड मुस्लिम’ बताकर गर्व की भावना दिलाई जाती और धार्मिक कट्टरता वाले ग्रुप्स में जोड़ा जाता।

दिल्ली में “सेफ हाउस” की थी तैयारी

ब्रेनवॉश के बाद युवतियों को दिल्ली बुलाकर उन्हें “सेफ हाउस” में रखा जाता, फिर उनका धर्मांतरण कर निकाह कराया जाता। आधार कार्ड बदलवाकर पहचान भी छिपाई जाती थी।

अब तक यह हुए गिरफ्तार

अबु तालिब (मुजफ्फरनगर), अब्दुर रहमान (सहसपुर), अब्दुल रहमान उर्फ महेन्द्र पाल सिंह (दिल्ली), आयशा उर्फ कृष्णा (गोवा), सुलेमान (दुबई निवासी, देहरादून मूल), अब्दुल रहीम व अब्दुल्ला (दिल्ली निवासी)। इनके खिलाफ कोर्ट से वारंट बी प्राप्त कर दून लाने की प्रक्रिया चल रही है।

दिल्ली और आगरा पुलिस से समन्वय

पुलिस ने आगरा में पहले से दर्ज मामलों से इस गिरोह की कड़ियों को जोड़ा है और वहाँ से गिरफ्तार अभियुक्तों की जानकारी साझा की है। दिल्ली, आगरा और झारखंड जैसे राज्यों में फैले नेटवर्क के विरुद्ध जांच जारी है। दून पुलिस अपना धर्म व पहचान छिपाकर महिलाओं को धोखा देने वालों को भी लगातार चिन्हित कर रही है।

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