प्रेमचंद की लेखनी आज भी प्रासंगिक: हिंदी विभाग ने मनाई जयंती

ऋषिकेश। पं. ललित मोहन शर्मा परिसर के हिंदी विभाग द्वारा गुरुवार को उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य प्रेमचंद की साहित्यिक विरासत को याद करते हुए उनकी लेखनी की वर्तमान समय में प्रासंगिकता पर विचार करना था। इस दौरान हिंदी विभाग की शोध छात्रा एकता मौर्य को यूजीसी-नेट जून 2025 में जेआरएफ चयन पर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. मुक्तिनाथ यादव ने प्रेमचंद की रचनाओं के सामाजिक प्रभावों और उनकी जीवन-दृष्टि पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद की कहानियां आज भी उतनी ही सार्थक हैं जितनी अपने समय में थीं।

कार्यक्रम में हिंदी विभाग के प्रोफेसर अधीर कुमार ने कहा कि प्रेमचंद एक युगद्रष्टा साहित्यकार थे। यदि उनकी दृष्टि पर गंभीरता से कार्य किया जाए, तो भारत को विकसित राष्ट्र बनने से कोई नहीं रोक सकता। साहित्य केवल मनोरंजन नहीं, चेतना का परिष्कार करता है, और प्रेमचंद की लेखनी इसका आदर्श उदाहरण है।

संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. पूनम पाठक ने प्रेमचंद की कहानियों की छवियों को चलचित्र समान बताते हुए कहा कि प्रेमचंद के साहित्य से जुड़ाव बचपन से रहा है और उनकी रचनाएं हर वर्ग को भीतर तक प्रभावित करती हैं। उन्होंने सभी भाषा विभागों के बीच संवाद एवं सहयोग के लिए साझा मंच की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम में प्राची सेमवाल, आरती सिंह, श्वेता पटवाल, उद्धव भट्ट, शिवानी सहित विभिन्न विभागों के शोधार्थियों ने भी प्रेमचंद की रचनाओं एवं उनके साहित्यिक योगदान पर अपने विचार रखे।

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