
देहरादून 3 सितंबर। हाल ही में एक निजी डेटा साइंस कंपनी “पी वैल्यू एनालिटिक्स” की ओर से जारी NARI-2025 सर्वे रिपोर्ट में देहरादून को देश के 10 असुरक्षित शहरों में शामिल किया गया। इस पर राज्य महिला आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह सर्वे न तो राष्ट्रीय महिला आयोग और न ही किसी सरकारी एजेंसी द्वारा कराया गया है।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस रिपोर्ट से अपने संबंध से इनकार किया है और इसे कंपनी का स्वतंत्र कार्य बताया है। आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल के अनुसार यह रिपोर्ट अपराध के वास्तविक आंकड़ों पर नहीं बल्कि धारणाओं पर आधारित है।
सर्वे का आधार और सीमाएं
सर्वे 31 शहरों में किया गया। इसमें 12770 महिलाओं से टेलीफोनिक बातचीत (CATI/CAPI पद्धति) के आधार पर निष्कर्ष निकाले गए। देहरादून की लगभग 9 लाख महिला आबादी में से सिर्फ 400 महिलाओं की राय ली गई। रिपोर्ट में प्रयुक्त सैंपल साइज और पद्धति को वैज्ञानिक नहीं माना जा सकता।
वास्तविक स्थिति क्या कहती है?
👉 गौरा शक्ति एप पर 1.25 लाख महिलाओं का पंजीकरण, जिनमें से 16,649 केवल देहरादून से हैं।
👉 डायल 112 पर अगस्त माह में आईं कुल 12,354 शिकायतों में से केवल 2287 (18%) महिला संबंधित।
👉 इनमें से 1664 घरेलू विवाद, जबकि छेड़छाड़/लैंगिक हमले मात्र 11 मामले।
👉 पुलिस का औसत रिस्पांस टाइम – 13.33 मिनट।
👉 देहरादून में 70 हजार बाहरी छात्र/छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं, जिनमें 43% छात्राएं शामिल।
👉 13 गौरा चीता, पिंक बूथ, महिला हेल्पलाइन और वन स्टॉप सेंटर संचालित।
👉 14 हजार से अधिक सीसीटीवी कैमरों से शहर पर निगरानी। कुल मिलाकर, आयोग और पुलिस का मानना है कि देहरादून को असुरक्षित शहरों में गिनना भ्रामक है और वास्तविक स्थिति इसके विपरीत है।
क्यों सुरक्षित है देहरादून?
👉देहरादून शांत और शैक्षणिक वातावरण वाला शहर है, जहां हजारों छात्र-छात्राएं और विदेशी विद्यार्थी निःशंक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
👉शहर में पर्यटकों की बड़ी संख्या सालभर रहती है, जो इसके सुरक्षित माहौल का प्रमाण है।
👉एनसीआरबी डेटा भी दिखाता है कि देहरादून में अपराध दर मेट्रो शहरों से काफी कम है।
महिला आयोग ने कहा कि—
“हम सर्वेक्षण के निष्कर्षों का सम्मान करते हैं, किंतु नीतिगत निर्णयों हेतु यह आवश्यक है कि किसी भी सर्वे की पद्धति वैज्ञानिक और तथ्यात्मक हो, ताकि उसके निष्कर्ष विश्वसनीय बन सकें।