“जो डराए वह धर्म नहीं! पंडित राजकुमार शर्मा का सनातन पर बेबाक संदेश”

ऋषिकेश में श्री भारत मंदिर पहुंचे सद्गुरु आश्रम टोंक के संस्थापक, पाखंड-मुक्त राष्ट्र निर्माण का दिया मंत्र

ऋषिकेश, 27 मई। सद्गुरु आश्रम, टोंक (राजस्थान) के संस्थापक पंडित राजकुमार शर्मा इन दिनों चारधाम यात्रा के प्रवेशद्वार तीर्थनगरी ऋषिकेश में प्रवास पर हैं। मंगलवार को झंडा चौक स्थित प्राचीन श्री भारत मंदिर में एक विशेष मुलाकात के दौरान उन्होंने धर्म की गहराई और प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।

पंडित शर्मा ने कहा, “धारयति इति धर्मः — जो धारण किया जाए, वही धर्म है। जंगलों में जाकर 18 घंटे जप करना, भगवा वस्त्र पहनना या दाढ़ी बढ़ा लेना धर्म नहीं, वह केवल साधना है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि धर्म का वास्तविक अर्थ आत्म मूल्यांकन की प्रक्रिया है, और इसका उद्देश्य भय से मुक्ति दिलाना है, न कि भय पैदा करना।

पंडित शर्मा ने आगे कहा कि प्रकृति ने हर व्यक्ति को किसी न किसी विलक्षण प्रतिभा के साथ भेजा है। हर कोई नरेंद्र मोदी, लता मंगेशकर या सचिन तेंदुलकर नहीं बन सकता, परंतु अपनी विशेषता पहचानकर जीवन में मूल्य जोड़ना ही धर्म की सही परिभाषा है।

उन्होंने वर्तमान समय में धर्म की वैज्ञानिकता और व्यावहारिकता को भी रेखांकित किया। उन्होंने जोर दिया कि “जो भयभीत करे, वह धर्म नहीं हो सकता। धर्म व्यक्ति को निर्भय बनाता है।”

राष्ट्र निर्माण का आह्वान:
एक सवाल के उत्तर में पंडित राजकुमार शर्मा ने कहा, “भारत का संचालन संविधान से होता है, लेकिन सनातन संस्कृति के मार्गदर्शन के लिए वेद, शास्त्र, ग्रंथ, पुराण, उपनिषद और ऋषि-मुनि हमारे आदर्श हैं। हमें बाह्य आडंबर, कुरीतियों, अंधविश्वास और पाखंड से मुक्त होकर शास्त्रसम्मत आचरण करते हुए राष्ट्र निर्माण की दिशा में कार्य करना चाहिए।”

उन्होंने अंत में संदेश दिया कि सुरक्षित और सशक्त राष्ट्र ही सच्चे धर्म का प्रतीक है — “कर्म ही पूजा है।”

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