
ऋषिकेश 6 जुलाई | आलोक पंवार
एम्स ऋषिकेश में बीते तीन सालों में मरीजों के इलाज से लेकर मेडिकल रिसर्च और आधुनिक तकनीकों के समावेश तक एक नई सफलता की कहानी लिखी गई है।
संस्थान की पहली महिला कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डाॅ.) मीनू सिंह के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवाएं, चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान में अभूतपूर्व इजाफा हुआ है। 7 जुलाई 2022 को कार्यभार ग्रहण करने के बाद प्रो. सिंह ने संस्थान की पारदर्शिता, सेवा की गुणवत्ता और तकनीकी विस्तार को प्राथमिकता दी।
सेवा, शिक्षा और शोध – तीनों में दिखाई प्रभावशाली प्रगति
पिछले तीन वर्षों में एम्स ऋषिकेश ने: हॉस्पिटल सेवाओं का विस्तार करते हुए ओपीडी, आईपीडी और इमरजेंसी सेवाओं को और प्रभावी बनाया।
नए मेडिकल पाठ्यक्रमों की शुरुआत कर चिकित्सा शिक्षा को नई दिशा दी।
गांव-गांव तक पहुंचने वाली टेलीमेडिसिन सेवा और ड्रोन मेडिकल डिलीवरी सिस्टम ने चिकित्सा की सीमाएं तोड़ीं।
एम्स उत्तर भारत का पहला सरकारी संस्थान बना, जहां टेलीमेडिसिन के लिए समर्पित विभाग की स्थापना की गई है।
हेल्थकेयर इनोवेशन में अग्रणी बन रहा एम्स ऋषिकेश
प्रो. मीनू सिंह की पहल पर इन नई सेवाओं की शुरुआत हुई: हेली एम्बुलेंस सेवा, किच्छा (ऊधमसिंह नगर) में सैटेलाइट सेंटर का निर्माण, सेवावीर टीम का गठन – रोगियों की मदद के लिए समर्पित, आभा आईडी आधारित डिजिटल रजिस्ट्रेशन प्रणाली, पेट स्कैन, पीएसीएस, और अत्याधुनिक पीडियाट्रिक केंद्र, एनआईआरएफ में 14वां स्थान – राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती पहचान
जनस्वास्थ्य में सक्रिय पहल
सार्वजनिक स्वास्थ्य को लेकर संस्थान ने ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में: स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन, संक्रामक रोगों के लिए जन-जागरूकता अभियान, सामुदायिक सहभागिता पर आधारित आउटरीच कार्यक्रम शुरू किए।
> “हमारा लक्ष्य संस्थान की बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं को वैश्विक स्तर तक पहुंचाना है। टीमवर्क ही हमारी सफलता की असली ताकत है।”
— प्रो. मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक, एम्स ऋषिकेश