
ऋषिकेश, 2 अगस्त। राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगे’ के जनक पिंगली वेंकय्या की 147वीं जयंती पर परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में गंगा आरती विशेष रूप से वेंकय्या को समर्पित की गई। कार्यक्रम में संतों, विद्यार्थियों, श्रद्धालुओं और देशभक्तों ने भाग लिया।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने पिंगली वेंकय्या को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा हमारा तिरंगा केवल एक ध्वज नहीं, यह भारत माता की आत्मा का प्रतीक है। इसका हर रंग, हर चिह्न हमें हमारी संस्कृति, मूल्यों और राष्ट्रीय एकता का स्मरण कराता है।
कहा कि पिंगली वेंकय्या एक प्रखर स्वतंत्रता सेनानी, कृषि वैज्ञानिक और राष्ट्रभक्त थे। उन्होंने न केवल स्वदेशी आंदोलन को प्रोत्साहन दिया, बल्कि कपास की उन्नत किस्म ‘वेंकय्या कपास’ का विकास कर भारतीय किसानों को आत्मनिर्भरता की राह दिखाई।
🇮🇳 तिरंगा: गौरव, बलिदान और प्रेरणा का प्रतीक
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने तिरंगे के प्रत्येक रंग का महत्व स्पष्ट करते हुए कहा कि केसरिया – वीरता, त्याग और बलिदान, सफेद – शांति, सत्य और समरसता, हरा – समृद्धि, विकास और जीवन, अशोक चक्र – निरंतर कर्म और धर्म की प्रेरणा
“हम तिरंगे के सम्मान को अपने जीवन का आदर्श बनाएंगे, और इस राष्ट्रध्वज को सदैव गर्व से ऊँचा लहराएंगे।”