
ऋषिकेश 29 अगस्त। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में इंडियन सोसाइटी ऑफ एनेस्थेसियोलॉजिस्ट्स (आईएसए) की ऋषिकेश नगर शाखा द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर प्रायोजित सतत् चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम (सीएमई) का सफल आयोजन किया गया। इस आयोजन का मुख्य विषय था कार्बन-न्यूट्रल, पर्यावरण-सचेत एनेस्थीसिया प्रैक्टिस : रोगी और ऑपरेशन के दौरान चिकित्सक सुरक्षा।
कार्यक्रम की शुरुआत आईएसए ध्वजारोहण और पौधरोपण के साथ हुई। आयोजकों ने इस संदेश को रेखांकित किया कि चिकित्सकीय जिम्मेदारी केवल रोगियों तक ही सीमित नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी है।
सीएमई के उद्घाटन सत्र में एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह मुख्य अतिथि रहीं। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा को पर्यावरणीय चेतना से जोड़ने की सराहना की। संस्थान की डीन (अकादमिक) प्रो. जया चतुर्वेदी ने कहा कि एनेस्थेसियोलॉजिस्ट अस्पतालों में स्थायी नवाचारों का नेतृत्व कर सकते हैं।
वहीं, आईएसए नेशनल के मानद सचिव डॉ. सुखमिंदर जीत सिंह बाजवा ने “हरित एनेस्थीसिया” के क्षेत्र में अनुसंधान, शिक्षा और वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।
संचालन में आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. वाईएस पयाल, सचिव डॉ. भावना गुप्ता व डॉ. मृदुल धर, मुख्य सलाहकार डॉ. संजय अग्रवाल और डॉ. भारत भूषण भारद्वाज सहित कई चिकित्सकों का योगदान रहा।
वैज्ञानिक सत्र और चर्चाएं
सीएमई के दौरान कई महत्वपूर्ण विषयों पर वैज्ञानिक सत्र आयोजित हुए, जिनमें निम्न-प्रवाह और न्यूनतम-प्रवाह एनेस्थीसिया, संपूर्ण अंतःशिरा एनेस्थीसिया (टीआईवीए), ऑपरेशन थिएटरों में क्षेत्रीय एनेस्थीसिया, उच्च-प्रभाव वाली एनेस्थेटिक गैसों के पर्यावरण-अनुकूल विकल्प, साथ ही “रोगी सुरक्षा बनाम ग्रह सुरक्षा” विषय पर हुई पैनल चर्चा ने प्रतिभागियों को नए दृष्टिकोण से सोचने के लिए प्रेरित किया।
पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता
इस आयोजन में सिंगल-यूज़ प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह से टाला गया। इसके स्थान पर कागज़ के कप और कपूर का इस्तेमाल किया गया। साथ ही कार्यक्रमों की समय-सारिणी और सारांश डिजिटल माध्यम से साझा किए गए।
ऋषिकेश की महत्ता
हिमालय की गोद और गंगा तट पर बसे ऋषिकेश को आयोजन स्थल चुनना कार्यक्रम की पर्यावरण-संवेदनशील थीम के अनुरूप विशेष महत्व रखता है। यह शहर पहले से ही अपने पर्यावरण-जागरूक उपायों के लिए जाना जाता है।