श्यामपुर।“अगर इरादे नेक हो तो आसमान को धरती पर लाया जा सकता है और मन में दृढ़ संकल्प लिया गया हो तो इंसान पत्थर में भी फूल उगा सकता है” इन्ही कसौटी पर खरी उतरी है खदरी खडकमाफ श्यामपुर की हस्तशिल्प ईशा कलूड़ा,जो खुद आत्मनिर्भर और सशक्त तो है ही लेकिन अपने साथ अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर व सशक्त बना रही है। वह भी बिना किसी शासन/ प्रशासन सहयोग के।
ईशा चौहान ने बताया है कि उन्हें हर्बल कलर बनाते हुए 6 साल हो गए हैं। कभी गलतियां की तो उन गलतियों में सुधार भी किया कार्य को कैसे बेहतर बनाया जाए उस उस पर कार्य किया।इस बार उनके द्वारा इस बार होली पर हर्बल रंगों के साथ गाय के गोबर के रंगों को बनाया है। जोकि गोमूत्र गंगाजल अन्य औषधीय पौधों से निर्मित है।
उनका कहना है इस बार हमारा क्षेत्र गोमय होली के रंगों से होली मनाएगा। पिछले 2 सालों से इन रंगों पर कार्य कर रही है और इस बार कार्य का अच्छा प्राप्ति होने पर उन्होंने इसे गोमय रंग के नाम से उतारा है। वह अपने रंगों की पैकिंग व मार्केटिंग के लिए स्टीकर भी स्वयं बनाती है । जोकि मार्केटिंग के प्रचार प्रसार के लिए बहुत अच्छा है और पैसे की बचत भी होती है। उन्होंने बताया है कि होलिका दहन के लिए भी यह रंग बहुत ही उपयुक्त है व त्वचा के लिए भी नुकसान दे भी नहीं है। क्योंकि गाय का गोबर ही जलने के बाद वातावरण भी दूषित नहीं होता।
गोबर के रंगों को बनाने से गो संरक्षण कि और ज्यादा ध्यान दिया जाएगा और हम लोग अपने संस्कारों के साथ भी जुड़े रहेंगे,क्योंकि आजकल लोग दूध ना देने पर गायों को सड़कों पर छोड़ देते हैं जिससे जान-माल को हानि रहती है।।
ईशा ने बताया कि अभी वर्तमान में वह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के समूह से भी जुड़ी है और एकता समूह में अध्यक्ष पद पर है और समूह व 6 संगठन की महिलाओं के निशुल्क हर्बल होली के रंग व 15 समूह को राखी बनाने का निशुल्क प्रशिक्षण और जूट बैग बनाने का, मेहंदी सिखाने का निशुल्क प्रशिक्षण उनकी ओर से निःशुल्क दिया गया है।
वे कई बार राष्ट्रीय स्तर व राज्य स्तर के कई प्रतियोगिता में निर्णायक की भूमिका मैं भी रह चुकी है और राज्य स्तर हस्तशिल्प कला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया, जिसके कारण खदरी श्यामपुर, ऋषिकेश तीर्थनगरी का मान भी बढ़ा है। वे वेस्ट मटेरियल एक्सपर्ट भी है बेकार पड़ी सामान से व नए-नए सजावटी सामान बनाने में निपुण है।