धर्म-कर्म: बच्चों को संस्कारवान बनाने के साथ आध्यात्मिकता से अवश्य जोड़ें! शिवपुराण कथा में किया आह्वान

ऋषिकेश। कथा वाचक आचार्य शिव स्वरूप नौटियाल ने शिव महापुराण कथा सुनने आए श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि अपने पाल्यों में संस्कार पोषण कर उन्हें संस्कारवान बनाने के साथ आध्यात्मिकता से अवश्य जोड़ें।
श्यामपुर के खदरी में लोक मंगल व जन कल्याण के लिए आयोजित नौवीं शिव महापुराण कथा के विश्राम की पूर्व संध्या पर कथा व्यास पीठ वैष्णवाचार्य शिव स्वरूप नौटियाल ने दिव्य कथा रसपान कराते हुए शिवमहापुराण की कथा के प्रसंग में नारद मोह व रुद्राक्ष के महत्व के बारे में बताया गया। उन्होंने एक मुखी रुद्राक्ष से लेकर चौदह मुखी रुद्राक्ष के बारे में विस्तार से जानकारी दी। रुद्राक्ष की माला ही एक मात्र ऐसी माला है जिसे हर सनातन धारण कर सकता है, बस रुद्राक्ष धारण करने वाले को सुचिता का ध्यान रखना परम आवश्यक है। पर्यावरणविद् विनोद जुगलान ने कहा कि शिव महापुराण कथा प्रेरणादायक, प्रेरणा स्रोत देने वाली कथा है। कथाएं हमारी संस्कृति संस्कारों के महत्व के बारे में बताती है।
कथा में प्रभु कोठियाल, राजेन्द्र कुलियाल, प्रेम लाल, केपी कंडवाल, मीना, सरिता कुलियाल, आशा भट्ट, अनिता रावत, जमुना, राजी भंडारी, मधु चमोली, संतोषी सिलस्वाल, कुसुम डबराल, शशि भट्ट, विनीता राणा, दुर्गा रतूड़ी, कौशल्या डोभाल, विजय लक्ष्मी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं मौजूद रहे।

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