ऋषिकेश, 4 अक्टूबर। पितृ पक्ष में पितरों के उद्धार के लिए श्रीमद् भागवत कथा के शुभारंभ से पहले भव्य कलश यात्रा निकाली गई। ढोल दमाऊ और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप पर निकली धार्मिक यात्रा में आस्था का सैलाब उमड़ा।ग्रामसभा खदरी खड़कमाफ स्थित ब्यो बारात सेलिब्रेशन पॉइंट में बुधवार से आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण यज्ञ कथा के शुभारंभ से पहले क्षेत्र में भव्य कलश यात्रा निकल गई।
कथा स्थल से शुरू हुई कलश यात्रा कलश यात्रा शिव मंदिर, श्रीदुर्गा माता मंदिर तक उत्तराखंड के पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल नगाड़ों की थाप पर भजन कीर्तन प्रस्तुत करते हुए गंतव्य स्थान कथा पंडाल पर पहुंची। यहां घट स्थापना के बाद कथा मर्मज्ञ वैष्णवाचार्य शिव स्वरूप नौटियाल ने दिव्य कथा का रसपान कराते हुए कहा कि पितृ पक्ष में पितरों के उद्धार हेतु तन मन और श्रद्धा के साथ जो कुछ भी समर्पित किया जाता है, वह पितरों को प्राप्त होता है। यदि कोई भी पितृ पक्ष में श्राद्ध तर्पण किन्ही कारणों से नहीं कर सकते हैं तो वह पितरों के निमित्त दान पुण्य सूखे अनाज दान कर लाभ ले सकते हैं। श्राद्ध पक्ष में कथा श्रवण से पितरों को मुक्ति मिलती है।
कथा संचालक शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के पर्यावरण प्रमुख विनोद जुगलान ने कहा कि हम भौतिकता की दौड़ में भटक रहे हैं। ऐसे में युवा पीढ़ी को शिक्षा के साथ संस्कार पोषण करना जरूरी है। हमारे धार्मिक आयोजन हमारी सांस्कृतिक विरासत है, इनके संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।
कलश यात्रा में आचार्य सौरभ सेमवाल, आचार्य अमित कोठारी, आचार्य मोहित भट्ट, आचार्य रवि कोठियाल, प्रभु दत्त कोठियाल, प्रेमदत्त कुलियाल, सूरज चौहान, सिब्बी चौहान, सुनीता चौहान,भूमा चौहान,ऊषा चौहान,यशोदा देवी,आशा भट्ट,संतोषी सिलस्वाल,संतोषी बलोनी,अनिता रावत, विद्यावती सिलस्वाल, मीना कुलियाल, ऊषा चौहान, शिवि बलूनी, अलका, लीला, नीलम ,रेखा भण्डारी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
धर्म-कर्म: श्राद्ध पक्ष में भागवत कथा सुनने से मिलती है पितरों को मुक्ति! आस्था के साथ निकली कलश यात्रा
