ऋषिकेश। मुनिकीरेती स्थित श्री दर्शन महाविद्यालय के संस्कृत छात्रों ने विभिन्न रचनात्मक प्रतियोगिताओं में बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। कल 10 प्रतियोगिताओं में से 9 प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त कर महाविद्यालय का मान बढ़ाया।
उत्तराखंड संस्कृत अकादमी हरिद्वार के माध्यम से 11 और 12 अक्टूबर को आयोजित जिला स्तरीय 10 प्रकार की संस्कृत प्रतियोगिताओं में श्री दर्शन महाविद्यालय के छात्रों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। दल शिक्षक आशीष जुयाल के मार्गदर्शन में कनिष्ठ एवं वरिष्ठ वर्ग में छात्रों ने प्रतिभाग किया। उक्त प्रतियोगिताओं में आशु भाषण कनिष्ठ व वरिष्ठ वर्ग में बाजी मारी। श्लोकोच्चारण वाद-विवाद, संस्कृत नाटक के दोनों वर्गों में प्रथम स्थान प्राप्त किया। संस्कृत समूह गान वरिष्ठ वर्ग में प्रथम एवं कनिष्ठ वर्ग में दूसरे स्थान पर रहे। इस प्रकार 10 प्रतियोगिताओं में से 9 प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त कर जनपद का प्रतिनिधित्व करने के लिए राज्य स्तर में अपना स्थान सुनिश्चित किया।
शुक्रवार को महाविद्यालय अध्यक्ष वंशीधर पोखरियाल, विद्यालय प्रबंधक संजय शास्त्री, प्रधानाचार्य डा. राधामोहन दास ने संयुक्त रूप में प्रतियोगिता में अव्वल रहे संस्कृत छात्रों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। साथ ही ज़िला स्तर पर आयोजित प्रतियोगिता में विजयी छात्रों बधाई दी। इस दौरान आगामी शारदीय नवरात्र के मद्देनजर गोष्ठी में ज्योतिषाचार्य कमल डिमरी ने मंत्रों की उत्पत्ति, स्वरूप, भेद, प्रकार, गुण-दोष को तंत्र ग्रंथों के आधार पर प्रतिपादित किया। साथ ही मंत्र एवं पाठ की वैज्ञानिकता पर भी विस्तार से विवेचन प्रस्तुत किया। साहित्याचार्य आशीष जुयाल ने दुर्गापाठ एवं होम विधि का वैज्ञानिक एवं प्रमाण सहित विवेचन प्रस्तुत किया। व्याख्यान क्रम में आचार्य संदीप कुकरेती ने विस्तार से दुर्गासप्तशती के कथानक पर प्रकाश डाला। व्याकरणाचार्य शांति प्रसाद ने पुराणों में शक्ति क्या है कितने प्रकार की है तथा उसका क्या विज्ञान है इस पर विस्तार से विवेचन प्रस्तुत किया।
मौके पर सत्येश्वर प्रसाद डिमरी, मुकेश बहुगुणा, सुशील नौटियाल, रामप्रसाद सेमवाल, सीमा मैठाणी, अनूप रावत, पूर्णानंद सिलस्वाल, हरीश सिलस्वाल, प्यारेलाल तिवाड़ी, गोपी चन्द्र सिलसवाल, मंजू देवी आदि उपस्थित थे।