ऋषिकेश 18 अक्टूबर। बनखंडी रामलीला में लीला के छठवें दिन केवट लीला, दशरथ मरण, भरत विलाप और चित्रकूट की लीलाओं का मंचन किया गया। अयोध्या में राजा दशरथ को जब मंत्री सुमंत के द्वारा पता चलता है कि श्रीराम वन से नहीं लौटे तो दशरथ उनके वियोग में अपने प्राण त्याग देते हैं इस दुखद दृश्य को देखकर कई श्रद्धालुओ की आंखें भर आई और पूरा पंडाल भावुक हो गया।
1955 से स्थापित सुभाष बनखंडी श्री रामलीला कमेटी के द्वारा रंगमंच के छठवें दिन केवट लीला, दशरथ मरण, भरत विलाप और चित्रकूट की लीलाओं का मंचन स्थानीय कलाकारों द्वारा दिया गया।
केवट लीला में केवट और श्री राम के द्वारा मार्मिक व बहुत सुंदर लीला का मंचन किया गया। भरत विलाप की लीला में दिखाया गया कि पिता की मृत्यु के बाद जब भरत को महल बुलाया जाता है तो उनके द्वारा अपनी मां से नाराजगी जताई जाती है और मंथरा को धक्के मार कर बाहर निकाल दिया जाता है, इसके बाद भरत श्रीराम से मिलने के लिए वन जाते हैं और उनसे आग्रह करते हैं कि आप वापिस आ जाइए, लेकिन श्रीराम पिता के वचन को निभाने के लिए भरत को मना लेते हैं, जिस पर भरत भी उनकी तरह वनवासी जीवन बिताने की बात कहकर उनकी खड़ाऊ लेकर वापस लौट जाते हैं। रामलीला के कलाकारों ने सशक्त अभिनय से दर्शकों को मंत्र मुग्ध किया।
इस अवसर पर रामलीला कमेटी सुभाष बनखंडी के अध्यक्ष विनोद पाल, महामंत्री हरीश तिवाड़ी, राजेश दिवाकर, दीपक जोशी, रोहताश पाल, हुकुम चंद, निर्देशक मनमीत कुमार, अशोक मौर्य, पवन पाल, नीतीश पाल आदि उपस्थित रहे।