ऋषिकेश 2 दिसंबर। उत्तराखंड में हिट एंड रन कानून के खिलाफ वाहन चालकों और परिवहन व्यवसायियों का गुस्सा नहीं थम रहा है। मंगलवार को उत्तराखंड परिवहन महासंघ केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए हिट एंड रन कानून को चालकों को उत्पीड़न करार देते हुए इसमें संशोधन की मांग उठाई। सकारात्मक कार्रवाई नहीं होने पर आरपार के संघर्ष का ऐलान किया है।
मंगलवार को संयुक्त यात्रा बस अड्डा परिसर स्थित एक होटल में उत्तराखंड परिवहन महासंघ की बैठक में टैक्सी, लोडर, ऑटो और बस परिवहन कंपनियों के पदाधिकारियों ने शिरकत की और एक स्वर में हिट एंड रन कानून का पुरजोर विरोध किया। महासंघ के अध्यक्ष सुधीर राय ने कहा कि यह काला कानून है जिसे केंद्र सरकार को तत्काल प्रभाव से वापस लेना चाहिए।
इससे सभी प्रकार के वाहनों के कामर्शियल चालकों एवं निजी चालकों में भारी रोष है। यदि यह प्रस्तावित कानून पारित किया गया तो भी व्यवसायिक वाहनों में चालकों की भारी कमी होगी तथा इससे परिवहन व्यवसाय, जो कि आर्थिक रीढ़ है, देश को भारी नुकसान की संभावना है। इससे जनता में भारी रोष व्याप्त होगा, जिससे उत्तराखंड सहित पूरे भारत में भारी आंदोलन होने की संभावना है।
इस दौरान परिवहन महासंघ ने उपजिलाधिकारी के माध्यम से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को भी एक पत्र प्रेषित किया।
बैठक में टीजीएमओसी के डायरेक्टर यशपाल सिंह राणा, लोडर संघ के अध्यक्ष संजय शर्मा, जयप्रकाश नारायण, योगेश उनियाल, दाताराम रतूड़ी, टैक्सी यूनियन सचिव विजेंद्र कंडारी, रामझूला विक्रम चालक संघ के पूर्व उपाध्यक्ष अमित पाल, टाटा सुमो यूनियन के पूर्व अध्यक्ष भगवान सिंह राणा आदि मौजूद रहे। वहीं, उत्तराखंड बस ऑपरेटर महासंघ ने भी आपातकालीन बैठक आयोजित कर हिट एंड रन कानून का पुरजोर विरोध किया है। मुख्यमंत्री को ज्ञापन में भी प्रेषित किया।
क्या है हिट एंड रन कानून….
संज्ञान में आया है कि केंद्र सरकार द्वारा “हिट एंड रन” केस में (चालक द्वारा सड़क दुर्घटना में सम्बन्धित पीडित को उपचार के एवज) पूर्व प्रस्ताव में संशोधित कर पीडित को तत्काल चिकित्सा सेवा न उपलब्ध कराने पर 10 वर्ष का कारावास और रू0 5,00,000/- (पांच लाख रू०) जुर्माना वसूली प्रस्तावित है।