ऋषिकेश 8 मार्च। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड में ड्रीम प्रोजेक्ट ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के तहत रेल लाइन बिछाने, सुरंग खोदने और नई रेलवे स्टेशन का निर्माण कार्य वर्ष 2025 के दिसंबर तक पूरा होगा। लिहाजा वर्ष 2026 में ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल सेवा शुरू होगी। यानी अभी नई रेल सेवा के लिए अभी 2 साल ओर इंतजार करना पड़ेगा।
शुक्रवार को हरिद्वार बाईपास मार्ग स्थित कार्यदायी संस्था रेल विकास निगम लिमिटेड के कार्यालय में पत्रकार वार्ता के दौरान परियोजना महाप्रबंधक अजीत सिंह यादव ने बताया कि राष्ट्रीय एवं सामरिक महत्व की 125 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग नई ब्रांड गेज रेल लाइन परियोजना का निर्माण अरविंद की ओर से हर तरह की विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए तेजी से पूरा किया जा रहा है। बताया कि परियोजना के अंतर्गत निर्धारित 104 किलोमीटर लंबी सुरंग में से 75 किलोमीटर सुरंग बनाने का कार्य पूरा किया जा चुका है। अन्य सुरंग का खनन भी तेजी से हो रहा है। बताया कि निर्धारित सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए अभी तक रेल परियोजना का 73 प्रतिशत कार्य पूरा कर चुके हैं।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि रेल परियोजना से प्रभावित आबादी वाले इलाकों की समस्याओं का समाधान जिला प्रशासन के सहयोग से प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है। घर पर दरार या पेयजल संबंधी समस्या है तो संबंधित व्यक्ति जिला प्रशासन को लिखित रूप से अवगत करा सकता है। जिला प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर समस्या का समाधान किया जा रहा है। परियोजना महाप्रबंधक ने बताया कि 16 प्रमुख रेल फूलों में से चार फूलों का निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है तथा श्रीनगर गोचर एवं कालेश्वर सिंचाई में रेलवे स्टेशन को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने के लिए मोटर पुलों का निर्माण कार्य भी पूर्ण कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि यात्री सुरक्षा सर्वोपरि है इसी को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा एवं अभियंत्रिक मानकों का पूर्ण पालन करते हुए रेल परियोजना का निर्माण कार्य किया जा रहा है।
उप महाप्रबंधक आरवीएनएल ओमप्रकाश मालगुडी ने बताया कि सबसे लंबी सुरंग देवप्रयाग से जनासू 14.57 किलोमीटर का निर्माण पूरा हो चुका है। बताया कि सभी डबल ट्यूब टनल हैं। 2026 में रेल परियोजना के साकार होने पर उत्तराखंड में तीर्थाटन पर्यटन और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, जिससे राज्य आर्थिक रूप से संपन्न होगा।
पत्रकार वार्ता में अपर महाप्रबंधक हेमंत कुमार, भू-विज्ञान शास्त्री विजय डंगवाल, अपर महाप्रबंधक पामीर अरोड़ा, अपर महाप्रबंधक अजय कुमार, संयुक्त प्रबंधक सुब्रत भट्ट उप महाप्रबंधक भूपेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।