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चमोली, उत्तराखंड, 8 सितंबर। पंजाब में आई भयानक बाढ़ और कठिन परिस्थितियों के बावजूद सिख श्रद्धालुओं की आस्था श्री हेमकुंट साहिब की पवित्र यात्रा को रुकने नहीं दे रही। हिमालय की ऊंची चोटियों पर बसे इस पावन तीर्थ में इन दिनों हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और अपनी निष्ठा का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं।
श्रद्धालु न केवल कठिन पैदल रास्तों और प्रतिकूल मौसम का सामना कर रहे हैं, बल्कि यह यात्रा उन्हें नई ऊर्जा और हिम्मत भी दे रही है। यह दृश्य सिख धर्म की मूल भावना ‘चढ़दी कला’ को जीवंत करता है—जहां विपत्तियों में भी सकारात्मकता और उत्साह कायम रहता है।
हालातों से कमजोर नहीं हुई श्रद्धालुओं की आस्था
पंजाब की बाढ़ ने लाखों लोगों को प्रभावित किया है। घर-बार उजड़ गए, सड़कें टूट गईं और मूलभूत सुविधाएं छिन गईं। लेकिन इन हालातों ने श्रद्धालुओं की आस्था को कमजोर नहीं किया।
एक भावुक श्रद्धालु ने बताया “बाढ़ ने हमारा सब कुछ छीन लिया, लेकिन वाहेगुरु की कृपा से हम यहां दर्शन करने आए हैं। यह यात्रा हमें नई ऊर्जा देती है।”
15 सितंबर से हेलीकॉप्टर सेवा बहाल!
गुरुद्वारा प्रबंधन समिति और स्थानीय प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सुरक्षा और चिकित्सा इंतज़ाम मजबूत किए हैं। सबसे बड़ी राहत यह है कि 15 सितंबर से हेमकुंट साहिब के लिए हेलीकॉप्टर सेवा बहाल होने जा रही है।यह सेवा उन श्रद्धालुओं के लिए खास लाभकारी होगी जो कठिन पैदल यात्रा करने में असमर्थ हैं या समय की कमी से जूझ रहे हैं।
10 अक्टूबर को बंद होंगे कपाट
हर वर्ष की तरह इस बार भी हेमकुंट साहिब के कपाट 10 अक्टूबर को बंद हो जाएंगे। भारी बर्फबारी के कारण सर्दियों में तीर्थयात्रा असंभव हो जाती है। ऐसे में सीमित समय में श्रद्धालुओं का यह उमंग और भी प्रेरणादायक है।
सीख और संदेश
यह यात्रा सिर्फ धार्मिक महत्व नहीं रखती, बल्कि जीवन के लिए एक संदेश भी देती है—कठिनाइयां चाहे जितनी भी हों, आस्था और उम्मीद इंसान को हर हाल में आगे बढ़ाती हैं। श्री हेमकुंट साहिब पहुंचने वाले श्रद्धालु पूरे समाज के लिए धैर्य, विश्वास और ‘चढ़दी कला’ की मिसाल बन रहे हैं।