
ऋषिकेश, 27 मई। परमार्थ निकेतन एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायी क्षण का साक्षी बना, जब भारत के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उनकी धर्मपत्नी सविता कोविंद और पुत्री स्वाति कोविंद के साथ पावन धाम पधारे।
परमार्थ गुरुकुल के ऋषिकुमारों ने उनका स्वागत पुष्पवर्षा, शंखध्वनि और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ किया, जिससे पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत हो गया। पूर्व राष्ट्रपति ने गंगा एक्शन परिवार, ग्लोबल इंटरफेथ वॉश एलायंस और पर्यावरण संरक्षण अभियानों की सराहना करते हुए परमार्थ निकेतन को “वैश्विक प्रेरणा का केंद्र” बताया।
भारतीयता, संस्कृति और समरसता पर हुई चर्चा
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और पूर्व राष्ट्रपति कोविंद के बीच महात्मा गांधी, श्रीराम जी, भारतीय संस्कृति और सनातन मूल्यों पर गहन संवाद हुआ। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा,“भारतीयता केवल भूगोल नहीं, एक भाव है—संस्कृति में श्रद्धा और जीवन में सह-अस्तित्व की भावना है। सेवा, समर्पण और समरसता ही भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं।”उन्होंने यह भी कहा कि कोविंद का जीवन, एक साधारण ग्रामीण पृष्ठभूमि से भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक की यात्रा, आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत है।
रामराज्य की प्रासंगिकता पर पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, “गांधी के लिए ‘रामराज्य’ केवल धार्मिक आदर्श नहीं था, बल्कि एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था थी, जहाँ कोई भूखा न हो, कोई शोषित न हो और हर व्यक्ति को सम्मान और अधिकार मिले। आज के समय में यह अवधारणा और भी अधिक आवश्यक है।”
रूद्राक्ष पौधा भेंट कर हुआ अभिनन्दन
इस विशेष अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने देश के 14 राष्ट्रपति कोविंद को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर मां गंगा के पावन तट पर उनका हार्दिक अभिनंदन किया।