
देहरादून, 02 जुलाई। देवभूमि उत्तराखंड के देहरादून में मानवीय संवेदनाओं और सामाजिक न्याय की मिसाल पेश करते हुए जिलाधिकारी सविन बंसल ने एक बुजुर्ग दंपति को उनकी ही संपत्ति वापस दिलाकर उदाहरण पेश किया है। 3080 वर्गफुट के मकान को गिफ्ट डीड के ज़रिए अपने बेटे के नाम करने वाले बुजुर्ग जब उसी बेटे द्वारा घर से बाहर निकाले गए, तो उन्होंने डीएम कोर्ट की शरण ली।
बुजुर्ग दंपति ने पहले तहसील, फिर थाना और अदालत का रुख किया लेकिन कहीं राहत नहीं मिली। अंततः मामला डीएम कोर्ट पहुंचा। डीएम सविन बंसल ने मामले का संज्ञान लेते हुए गिफ्ट डीड को अवैध घोषित किया और संपत्ति पुनः बुजुर्ग दंपति के नाम कर दी।
डीएम ने सुनाया न्याय का सख्त फैसला — गिफ्ट डीड रद्द, पूरी संपत्ति लौटाई बुजुर्गों को!
सिख समुदाय के बुजुर्ग परमजीत सिंह व उनकी पत्नी अमरजीत कौर ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे गुरविंदर सिंह के नाम 2 बड़े हॉल सहित सम्पत्ति गिफ्ट डीड के तहत स्थानांतरित की थी। शर्त थी कि बेटा माता-पिता की देखभाल करेगा और उन्हें पोते-पोतियों से मिलने देगा। लेकिन सम्पत्ति मिलते ही बेटे ने रिश्तों को ताक पर रख दिया। माता-पिता को घर से बाहर कर दिया और पोते-पोतियों से भी मिलने नहीं दिया गया।
भरणपोषण अधिनियम की विशेष शक्तियों का प्रयोग कर सुनाया गया फैसला
डीएम ने भरणपोषण और कल्याण अधिनियम 2007 की विशेष धाराओं का प्रयोग करते हुए पहली ही सुनवाई में न्याय कर दिया। गिफ्ट डीड की शर्तों के उल्लंघन, माता-पिता के तिरस्कार और अनुपस्थित रहने पर बेटे के खिलाफ आदेश जारी किया गया।
न्यायालय में छलके बुजुर्गों के आंसू
न्यायालय के आदेश से भावुक हुए परमजीत सिंह व अमरजीत कौर की आंखों से आंसू छलक पड़े। डीएम बंसल के इस त्वरित और प्रभावशाली निर्णय की हर ओर सराहना हो रही है। यह फैसला बुजुर्गों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा में जिला प्रशासन की सक्रियता का परिचायक है।
🔹 यह मामला समाज के उन तमाम लोगों के लिए चेतावनी है जो अपने माता-पिता को संपत्ति से बेदखल कर उनका तिरस्कार करते हैं। डीएम बंसल का यह निर्णय न केवल न्याय की जीत है, बल्कि सामाजिक मर्यादाओं का संरक्षण भी है।