
देहरादून, 14 जुलाई। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिससे राज्य निर्वाचन आयोग को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा है कि पंचायतीराज अधिनियम के तहत चुनाव होंगे, और दोहरी मतदाता सूची वाले प्रत्याशियों का नामांकन अवैध माना जाएगा।
चुनाव पर कोई रोक नहीं, लेकिन अगर कोई आपत्ति हो तो बाद में इलेक्शन पिटिशन दाखिल की जा सकती है। फैसले से कई प्रत्याशियों की उम्मीदवारी खतरे में।चुनाव आयोग को अब उम्मीदवारों की मतदाता स्थिति की गंभीरता से जांच करनी होगी, वरना बाद में इलेक्शन पिटिशन के ज़रिये चुनाव रद्द होने तक की नौबत आ सकती है।
पंचायत चुनाव में नामांकन की पहली शर्त: एक ही जगह हो वोटर!
क्या है मामला?
राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से दायर रिव्यू पिटिशन को हाईकोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया है। आयोग यह साबित करने की कोशिश कर रहा था कि तकनीकी कारणों से एक व्यक्ति का नाम दो जगह मतदाता सूची में हो सकता है, लेकिन कोर्ट ने यह दलील नहीं मानी।
⚖️ फैसले की प्रमुख बातें:
यदि कोई व्यक्ति दो जगह का वोटर है, तो वह पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकता।
नामांकन तभी वैध, जब उम्मीदवार केवल एक जगह मतदाता हो।
11 जुलाई को आए फैसले पर हाईकोर्ट कायम रहा।
राजनीतिक गलियारों में मचा हड़कंप
इस फैसले के बाद पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे कई उम्मीदवारों में अस्पष्टता और चिंता की लहर दौड़ गई है। जिनके नाम दो अलग-अलग ग्राम पंचायतों की मतदाता सूची में दर्ज हैं, उनकी उम्मीदवारी अब अधर में लटक गई है।
अब क्या है नियम?
> “यदि आप पंचायत चुनाव लड़ना चाहते हैं, तो आपको केवल एक ही जगह का वोटर होना होगा।”
– उत्तराखंड हाईकोर्ट
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