उत्तराखंड की बोली-बानी और लोकधुनों से गूंजा तुलसी मानस मंदिर, युवा गायकों ने बांधा समा

ऋषिकेश। तुलसी मानस मंदिर में चल रहे रामायण प्रचार समिति के वार्षिक उत्सव कार्यक्रम की श्रृंखला में एक विशेष ‘गढ़वाली संध्या’ का आयोजन हुआ, जिसमें उत्तराखंड की लोकसंस्कृति को समर्पित एक अनूठा मंच प्रदान किया। गढ़वाल के युवा लोकगायकों और क्षेत्रीय संस्कृत विद्यालयों की प्रतिभाओं ने अपनी प्रस्तुतियों से समां बांधा।
अपनी बोली, अपनी भाषा को आगे बढ़ाने की इस पहल ने श्रोताओं का दिल जीत लिया। कार्यक्रम में गढ़वाली गीतों की सजीव प्रस्तुतियों ने माहौल को पूरी तरह से उत्तराखंडी रंग में रंग दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत लोकगायक हंसराज मंदोलिया, कैलाश भट्ट, अजीत चमोली, शुभम नौटियाल, गौरव भट्ट और अभिषेक द्वारा उत्तराखंड की पारंपरिक लोकधुनों से हुई। गायकों की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया और मंदिर परिसर तालियों की गूंज से भर गया।
मौके पर महंत जगदीश प्रपन्नाचार्य महाराज, राजेश थपलियाल, अभिषेक शर्मा, गुरविंदर सलूजा, भानु शर्मा, तनुजा अरोड़ा, श्याम अरोड़ा, रामकृष्ण पोखरियाल, अशोक क्रेजी, मनोज मलासी, अशोक अरोड़ा, अमन शर्मा, राम चौबे, रमाकांत भारद्वाज, रामचंद्र जगताप, सतीश घिल्डियाल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

प्रतिभाओं का हुआ सम्मान
ऋषिकेश। तुलसी मानस मंदिर के महंत रवि पर प्रपन्नाचार्य महाराज ने बताया कि अष्टम दिवस के संध्याकालीन कार्यक्रम में क्षेत्र की सांस्कृतिक प्रतिभाओं का उत्साहवर्धन करते हुए उन्हें सम्मानित किया गया। यह आयोजन उत्तराखंड की लोकसंस्कृति के प्रचार-प्रसार की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम रहा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मदन शर्मा और संचालन आंदोलनकारी प्यारेलाल जुगराण ने किया।

👍यह आयोजन न केवल लोकसंस्कृति को प्रोत्साहित करने का प्रयास था, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का भी माध्यम बना।

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