
ऋषिकेश, 29 जुलाई। विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर एम्स, ऋषिकेश में हेपेटाइटिस आइए इसे समझें विषय पर एक सतत चिकित्सा शिक्षा सत्र और तकनीकी परामर्श कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य वायरल हेपेटाइटिस को लेकर गहन समझ विकसित करना, नीति व रणनीति निर्माण को सशक्त बनाना और सामूहिक प्रयासों के लिए मंच प्रदान करना था।
कार्यक्रम का शुभारंभ एम्स निदेशक प्रो. मीनू सिंह, शैक्षणिक डीन प्रो. जया चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. बी. सत्यश्री, तथा सामुदायिक चिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सेना ने संयुक्त रूप से किया।
एम्स निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने संस्थान की जनस्वास्थ्य नेतृत्व और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता पर बल देते हुए कहा कि एम्स ऋषिकेश उत्तर भारत में हेपेटाइटिस जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए नीति, उपचार और जनजागरूकता के त्रिस्तरीय ढांचे पर काम कर रहा है।
गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. रोहित गुप्ता ने उत्तराखंड में यकृत रोगों के क्षेत्रीय आँकड़े और सेवा वितरण की चुनौतियाँ साझा की। माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. योगेंद्र माथुरिया ने निदान और परीक्षण सेवाओं की वर्तमान स्थिति व प्रयोगशालाओं की क्षमताओं पर रोशनी डाली। डॉ. आनंद शर्मा ने उपचार और प्रबंधन प्रोटोकॉल की व्याख्या करते हुए चिकित्सकों के लिए व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रस्तुत किया, जबकि डॉ. अजीत सिंह भदौरिया ने सामुदायिक निवारण रणनीतियों और स्वास्थ्य नीति में सहयोग के महत्व पर जोर दिया।
प्रणाली और नवाचार पर फोकस
तकनीकी परामर्श सत्र का उद्घाटन PGIMER, चंडीगढ़ के हेपेटोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. अजय दुसेजा ने किया। उन्होंने एकीकृत देखभाल प्रणालियों की आवश्यकता और नवाचार आधारित उपचार व्यवस्था पर विचार रखे। राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम की राज्य नोडल अधिकारी डॉ. आकांक्षा निराला ने राज्य-स्तरीय उपलब्धियों, चुनौतियों और आगामी रणनीतियों का प्रस्तुतीकरण दिया।
फैटी लिवर स्क्रीनिंग और जनजागरूकता
डॉ. पूजा भदौरिया के सहयोग से ऑफिस स्टाफ के लिए फैटी लिवर स्क्रीनिंग कैंप भी आयोजित किया गया। कार्यक्रम का संचालन एमपीएच स्कॉलर डॉ. साक्षी ने किया, जबकि डॉ. आकाश सचदेवा और डॉ. आयुषी गोयल ने जागरूकता गतिविधियों के विजेताओं की घोषणा और सम्मान समारोह संपन्न कराया।