
देहरादून। उत्तराखंड समानता पार्टी ने राज्य विधानसभाओं और लोकसभा क्षेत्रों के परिसीमन को लेकर बड़ा मुद्दा उठाया है। पार्टी ने प्रधानमंत्री को जिलाधिकारी देहरादून के माध्यम से ज्ञापन भेजते हुए मांग की है कि आगामी परिसीमन प्रक्रिया में केवल जनसंख्या को ही आधार न बनाया जाए, बल्कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य की भौगोलिक स्थिति को भी प्राथमिकता दी जाए।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीके बहुगुणा ने बताया कि वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर बने उत्तराखंड को इसकी विशिष्ट भौगोलिक एवं सांस्कृतिक पहचान के आधार पर राज्य का दर्जा मिला था, लेकिन परिसीमन की प्रक्रिया में शुरू से ही पहाड़ी क्षेत्रों के साथ न्याय नहीं हो पाया। राज्य निर्माण के बाद हुए अगले परिसीमन में पहाड़ी क्षेत्र की 4 सीटें कम हो गईं, जिससे यहां के निवासियों को कम प्रतिनिधित्व मिला।
पार्टी ने कहा कि राज्य निर्माण के बाद हुए पिछले परिसीमन में पहाड़ी क्षेत्रों की 4 सीटें कम कर दी गई थीं, जिससे यहां के लोगों को न्याय नहीं मिला। रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा की कमी के चलते पहाड़ से पलायन लगातार बढ़ रहा है, वहीं बाहरी लोग जमीनें खरीदकर होटल-रिसॉर्ट खोल रहे हैं, जिससे सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक संकट गहरा रहा है। मौके पर प्रांजल नौडियाल, प्रमोद काला, जीपी डिमरी, रोशन धस्माना, रेवाधर नौटियाल आदि शामिल रहे।
70% भौगोलिक क्षेत्र, 30% जनसंख्या का फार्मूला सुझाया
उत्तराखंड समानता पार्टी ने मांग रखी कि आगामी परिसीमन अधिनियम में राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों को 70% और जनसंख्या को केवल 30% महत्व दिया जाए। पार्टी का कहना है कि छोटे-छोटे निर्वाचन क्षेत्र बनाकर जनप्रतिनिधियों को जनता से सीधे जोड़ना संभव होगा और इससे विकास की रफ्तार भी बढ़ेगी।
अनुच्छेद 170 पर संशोधन की जरूरत
ज्ञापन में विशेष रूप से संविधान के अनुच्छेद 170 (2) का हवाला देते हुए कहा गया कि वर्तमान स्वरूप में यह प्रावधान पहाड़ी राज्यों के लिए नुकसानदेह है। अतः इसमें संशोधन कर भौगोलिक स्थिति को परिसीमन का मुख्य आधार बनाया जाना चाहिए।
राज्य हित में बड़ा कदम उठाने की अपील
उत्तराखंड समानता पार्टी ने प्रधानमंत्री से मांग की कि जब तक इस मुद्दे पर ठोस निर्णय नहीं हो जाता, तब तक परिसीमन प्रक्रिया को निलंबित रखा जाए। साथ ही मुख्यमंत्री, सभी सांसदों और विधायकों से आग्रह किया गया है कि वे इस विषय को संसद और विधानसभा में मजबूती से उठाएं।