तीर्थनगरी में धर्मशालाओं का स्वरूप बिगाड़ने पर चढ़ा पारा

ऋषिकेश,5 अप्रैल। उत्तराखंड जन विकास मंच ने चारधाम यात्रा के प्रवेश द्वार तीर्थनगरी ऋषिकेश में धर्मशालाओं के स्वरूप से छेड़छाड़ पर आक्रोश जताया है। मामले में मुख्यमंत्री से तत्काल प्रभावी कार्रवाई की मांग की है।
बुधवार को विकास मंच के अध्यक्ष आशुतोष शर्मा के नेतृत्व में तहसील पहुंचे कार्यकर्ताओं ने तीर्थनगरी ऋषिकेश में भू माफियाओं पर धर्मशालाओं को खुर्द-बुर्द करने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया।
कार्यकर्ताओं ने कहा कि ऋषिकेश की पहचान आश्रम, धर्मशाला, मठ -मंदिरों से होती थी। तीर्थनगरी ऋषिकेश में दो दशक पूर्व लगभग 150 धर्मशाला व आश्रम हुआ करते थे।वर्तमान में इन धर्मशालाओं की संख्या बमुश्किल 20 से 22 के बीच रह गई है। इन बची हुई धर्मशाला, आश्रमों पर भी भू माफियाओं की गिद्ध दृष्टि लगी हुई है, जिसके परिणाम स्वरूप ऋषिकेश में हरिपुरकला के बाद चारधाम यात्रियों के ठहरने के लिए कोई उपयुक्त व्यवस्था नहीं बची है, जिसके चलते तीर्थयात्री, मुनीकीरेती, रामझूला, स्वर्ग आश्रम, जोंक में आश्रय के लिए चले जाते हैं। इन यात्रियों के ऋषिकेश में न ठहरने से ऋषिकेश का व्यापार बाधित होता है
शासन प्रशासन से भू माफियाओं के क्रियाकलापों पर अंकुश लगाते हुए बची हुई धर्मशाला व आश्रमों को खुर्द -बुर्द होने से बचाने की मांग की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को संबोधित ज्ञापन उप जिलाधिकारी सौरभ अस्वाल को सौंपा जिसके माध्यम से खुर्द -बुर्द हुए आश्रम व धर्मशालाओ को पुनः उनके वास्तविक स्वरूप में लाया जाए तथा दोषियों पर कठोर कानूनी कार्रवाई की डिमांड की।
मौके पर मंच के संरक्षक मनोज गुसाईं, शैलेंद्र चौहान, लालमणि रतूड़ी, सुभाष शर्मा, कमल सिंह, राजेंद्र पाल आदि उपस्थित रहे।

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