ऋषिकेश। साहित्य की रोचक विधा है यात्रा वृतांत जो स्थान विशेष के संपूर्ण वैभव के साथ लिखे जाते हैं, इनमें कल्पनाशीलता व आत्मीयता का पुट होता है। निकले जो सफर पर लेखक ने देश-विदेश की ऐसी ही की गई यात्राओं को अपने निजी अनुभवों के साथ संकलित किया है। उक्त विचार यहां आयोजित पुस्तक विमोचन के अवसर पर मुख्य अतिथि आरएस भंडारी ने व्यक्त किए। बताते चलें कि ‘निकले जो सफर पर’ धर्मानंद लखेड़ा द्वारा लिखित यात्रा वृतांत है, जिसमें सहस्त्रताल, टौंस घाटी से यमुना घाटी, मध्यमहेश्वर, रूपकुंड आगाज़-ए-दोस्ती (हुसैनीवाल), करतारपुर साहिब व वियतनाम सहित आठ रोचक यात्राएँ हैं, जिसका विमोचन शीशम झाड़ी स्थित एक होमस्टे में किया गया।
पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष वीरेंद्र शर्मा, जयेंद्र रमोला ने कहा कि यात्राएँ हमारे जीवन को एक नई दृष्टि देती हैं, नहीं तो जीवन ठहर जाता है।
मौके पर अधिवक्ता शीशराम कंसवाल, रंगकर्मी सतीश धौलाखंडी, बीड़ी पांडे, विनोद रतूड़ी, जगदीश कुलियाल, गयाप्रसाद द्विवेदी, हरिओम पाली, अशोक थापा, यज्ञव्रत शर्मा, असद, वीके डोभाल, सरदार दर्शन सिंह, अशोक क्रेजी, धनेश कोठारी, रामकृष्ण पोखरियाल, सत्येंद्र चौहान, हरिनारायण राजभर, संजय निरंकारी, उप प्रधान रोहित नेगी व वार्ड सदस्य रीना चौहान ने लेखक धर्मानंद लखेड़ा को गुलदस्ते भेंटकर उनका अभिनंदन किया।
काव्यांश प्रकाशन के प्रबोध उनियाल द्वारा सभी आगंतुक अतिथियों का आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम का संचालन सुनील थपलियाल ने किया।