पहले कनस्तर बजाने से ही भाग जाते थे हाथी अब आतिशबाजी जरूरी
ऋषिकेश। न्याय पंचायत श्यामपुर के ग्राम सभा खदरी खड़कमाफ में जंगली हाथी खेतों में खड़ी फसलों को चौपट कर रहे हैं, जिससे किसान आर्थिक संकट झेलने को मजबूर है। आलम यह है कि कई किसान अब खेती बड़ी करने से कतरा रहे हैं।
किसानों का आरोप है कि वन विभाग हाथी की आमद रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं कर रहा है केवल परंपरागत रात्रि गश्त कर जिम्मेदारी से इतिश्री कर रहा है। यानी की मानव और वन्यजीव संघर्ष में न सिर्फ किसान बल्कि वन विभाग ने भी हार मान ली है। स्थानीय कृषक एवं पर्यावरण मामलों के पैरोकार विनोद जुगलान ने बताया कि खादर क्षेत्र में आठ सौ बीघा सिंचित भूमि पर स्थानीय किसान वर्षो से खेती करते आ रहे हैं, लेकिन बीते कुछ वर्षों से वन्यजीव और मानव संघर्ष लगातर बढ़ रहा है परिणामस्वरूप लोग खेती से विमुख होने लगे हैं जिन किसानों ने खेती की हुई है उनकी फसल का आधा हिस्सा भी खेत से खलियान तक नहीं पहुंच पा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण सरकारी उपेक्षा है। बीते पंद्रह दिनों से खदरी के खादर क्षेत्र में एक दांत वाला जंगली हाथी की आमद लगातार बनी हुई है, जो खेतों में खड़ी फसल को तहस-नहस कर रहा है।
व्यवस्था का आलम यह है कि वनक्षेत्राधिकारी ऋषिकेश के निर्देशों के बाद भी यहां विभागीय रात्रि गश्त दल जब तक खेतों में पहुंचता है उनसे पहले जंगली हाथी खेतों में आ धमकता है।
जुगलान ने बताया कि वन विभाग रात्रिगश्त दल का कहना है कि विभाग की ओर से हवाई फायर के लिए न तो कारतूस उपलब्ध हैं न पर्याप्त मात्रा में पटाखे ही मिल रहे हैं। संसाधन नहीं होने से आबादी से हाथी भगाना मुश्किल हो गया है।
इन काश्तकारों की फसलें हो चुकी चौपट
ऋषिकेश। एक दांत वाला हाथी कृषक राजेश शर्मा, ऊषा जुगलान, सोहनलाल, शेखर सिंह आदि किसानों की फैसले चौपट कर चुका है। कृषक विजय सिंह का कहना है कि सुबह 4 बजे तक लगातार किसान हाथी ही भगाते रहते हैं। किसानों कहना है कि अब पटाखों के शोर के बिना जंगली हाथी जल्दी खेत से भागता नहीं है। पहले कनस्तर बजाने से ही काम चल जाता था। ऐसे में किसानों की जान माल का खतरा भी बना हुआ है।
जिला पंचायत सदस्य संजीव चौहान ने कहा कि मामले में वन विभाग के उच्च अधिकारियों से वार्ता की जाएगी।