ऋषिकेश 17 अक्टूबर। एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों ने किडनी ट्रांसप्लांट कर एक ऐसे युवक का जीवन बचाया है, जिसका हेमोडायलिसिस फेल हो चुका था और वह क्षय रोग की बीमारी से जूझ रहा था। गुर्दा प्रत्यारोपण के इस नए मामले में बेटे का जीवन बचाने के लिए मां ने ही बेटे को अपनी किडनी दान दी है। एम्स में किडनी ट्रांसप्लांट का यह दूसरा मामला है, जो पूरी तरह से सफल रहा।
एम्स प्रशासन के मुताबिक मूलरूप से दिल्ली के नंगला गांव का रहने वाला 32 वर्षीय सचिन वर्तमान में देहरादून स्थित सीमा सड़क संगठन कार्यालय में तैनात है। पिछले 3 वर्षों से किडनी की समस्या से परेशान सचिन का लंबे समय से डायलिसिस चल रहा था। रोगी ने मई 2022 में एम्स के नेफ्रोलॉजी विभाग से संपर्क किया और विशेषज्ञ चिकित्सकों को अपनी बीमारी के बारे में बताया। मरीज को न केवल किडनी की समस्या थी बल्कि उसके हार्ट में भी संक्रमण की शिकायत थी। नेफ्रोलॉजी विभाग की डॉ. शेरोन कंडारी ने बताया कि रोगी का पहले 4 महीने तक क्षय रोग का इलाज किया गया। हालांकि इस दौरान उसका डायलिसिस भी जारी था। समस्या तब ज्यादा गंभीर हो गई, जब रोगी का शरीर कमजोर होने के कारण हेमोडालिसिस करने में दिक्कत आ गई। ऐसे में विकल्प के तौर पर अगले 3 महीनों तक रोगी को पेरिटोनियल डायलिसिस (प्रत्यक्ष रूप से पेट के निचले हिस्से में सर्जरी करके एक नली डालकर शरीर के बेकार पदार्थों को बाहर निकालने की प्रक्रिया) से गुजरना पड़ा।
सफलतापूर्वक किए गए किडनी प्रत्यारोपण मामले के बाबत डॉ. मित्तल ने बताया कि मरीज के स्वास्थ्य की स्थिति सामान्य होने पर दिल्ली से आई विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम के मार्गदर्शन में 16 सितंबर को पेशेंट सचिन के शरीर में गुर्दा प्रत्यारोपित कर दिया गया। इस प्रक्रिया में लगभग 4 घंटे का समय लगा।
संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह और चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने ट्रांसप्लांट करने वाली टीम की प्रशंसा की है।