नारायणबगड़ (चमोली)। विकास खंड नारायणबगढ़ के ग्राम जुनेर में 14 नवंबर से चल रहे जीतू बगड़वाल मेला मंगलवार को हवन यज्ञ व प्रसाद वितरण के साथ संपन्न हो गया। सात दिवसीय वीरभड़ जीतू बगड़वाल मेला गांव में 30 वर्षों के तत्पश्चात आयोजित हुआ था।
जीतू बगड़वाल की प्रेम गाथा को जागर सम्राट अनिल उनियाल पहाड़ी और नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया गया, जिसमें सैकड़ों भक्तजन साक्षी बने।
भगवान के रूप में पूजे जाने वाले जीतू बगड़वाल के जागरों के बीच ग्रामीणों ने भी खूब नृत्य किया। ग्रामीणों ने जीतू बगड़वाल से सुख-शांति और समृद्धि की कामना की।बगड़वाल नृत्य को देखने के लिए विभिन्न ग्राम सभाओं से ग्रामीणों का तांता लगा रहा। मान्यता है कि आज से एक हजार साल पहले गढ़वाल रियासत के बगोड़ी गांव पर जीतू का एकाधिकार था। एक बार जीतू अपनी बहन सोबनी को लेने उसके ससुराल रैथल गांव जाता है, जहां उसकी प्रेमिका भरणा भी रहती है। जीतू बांसुरी की धुन में प्रेम गीत गाता रहता था। उसकी धुन पर मोहित होकर खैट पर्वत पर रहने वाली वन आछरियां (परियां) वहां पहुंच जाती हैं और उसे अपने साथ ले जाना चाहती हैं। तब जीतू उन्हें वचन देता है कि धान की रोपाई के बाद वह स्वेच्छा से उनके साथ चलेगा। अंत में वह दिन भी आया, जब रोपाई के दिन खेत में ही आछरियों ने जीतू के प्राण हर लिए। इसके बाद अदृश्य शक्ति के रूप में जीतू बगड़वाल अपने परिजनों की मदद करता रहा। राजा ने जीतू की शक्ति को भांपते हुए पूरे गढ़वाल में उसे देवता के रूप में पूजे जाने का आदेश दिया।
ग्राम प्रधान नरेंद्र सिंह भंडारी ने बताया कि जीतू बगड़वाल गढवाल क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध लोककथा व लोकगाथा पर आधारित कथा है, हम सभी को पारंपरिक संस्कृति को बचाने की पहल करनी चाहिए, जिससे भविष्य में इस तरह के धार्मिक अनुष्ठान कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहेगे।
मन्दिर समिति अध्यक्ष प्रताप सिंह राई ने कहा 7 दिनों तक चले जीतू बगड़वाल मेला से जूनेर गांव का वातावरण भक्तिमय बना रहा प्रतिदिन सैकड़ो भक्तो ने बगड़वाल नृत्य में शामिल होकर पुण्य अर्जित करा।
इस अवसर मंदिर समिति सचिव बलवीर सिंह डोड, संयोजक मंगल सिंह फर्स्वाणं। सहसचिव अंजु देवी, व्यवस्थापक अब्बल बिष्ट, प्रधान पुष्पा देवी, महिला मंगल दल अध्यक्ष लक्ष्मी देवी, ढोलक वादक व समस्त ग्रामवासी रहे।