संस्कृत शिक्षा विभाग की सचिव स्तरीय बैठक रही बेनतीजा! इन्होंने दी सड़कों पर उतरकर आंदोलन की चेतावनी

आरोप 1999 के स्पष्ट शासनादेश को नकार रहे संस्कृत शिक्षा सचिव
हरिद्वार 3 दिसंबर। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार में हुई संस्कृत शिक्षा विभाग की सचिव स्तरीय बैठक बेनतीजा रही। संस्कृत शिक्षा विभाग की ज्वलंत समस्याओं का कोई हल‌ नहीं निकलने पर संस्कृत विद्यालय और महाविद्यालय के प्रबंधकों ने सड़कों पर उतर सरकार के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन की चेतावनी दी है।
रविवार को उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार में संस्कृत शिक्षा विभाग के अंतर्गत प्रदेश में संचालित संस्कृत विद्यालय एवं महाविद्यालयों की स्थिति पर शासन की ओर से जारी आदेशों के क्रम में सचिव स्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें प्रदेश भर में संस्कृत विद्यालय और महाविद्यालय को लेकर बनी हुई असमंजस की स्थिति पर चर्चा की गई। सचिव स्तरीय बैठक में स्थिति स्पष्ट होगी इसकी उम्मीद थी। बैठक में प्रदेश के समस्त महाविद्यालयों एवं विद्यालयों के प्रबंधक/ संचालक तथा प्राचार्यों को बुलाया गया था, लेकिन उनके साथ भी बैठक बेनतीजा रही। आरोप है कि अधिकारीगण पुनः अपनी बात को थोपकर बैठक से निकल गए।
सचिव स्तरीय बैठक में अधिकारियों के रवैए से संस्कृत जगत से जुड़े लोगों में खासा आक्रोश है। बताया कि बैठक में अधिकांश संस्कृत महाविद्यालय और विद्यालय के प्रबंधकों ने जबरन थोपी जा रही प्रशासन योजना का विरोध किया और एक स्वर में सबने प्रशासन योजना को सचिव के समक्ष अस्वीकार्य बताया और वर्गीकरण के उपरांत पृथक रूप से संचालित हो रहे महाविद्यालय तथा उन महाविद्यालयों में उत्तराखंड सरकार के गजट अनुसार उच्चशिक्षा की अर्हताओं पर नियुक्त स्थाई शिक्षकों के बारे में बार-बार पृच्छा की गई। लेकिन, सचिव संस्कृत शिक्षा द्वारा तथ्यहीन तर्क रखकर प्रश्नों को गोल-माल करके टाल दिया गया, जिससे समस्त प्रबंधक गण एवं संचालक बहुत नाराज है।
बता दें की 7 जनवरी 1999 को उत्तर प्रदेश शासन द्वारा एक स्पष्ट शासनादेश निर्गत किया गया है जिसमें स्पष्ट लिखा है की राज्यपाल की सहर्ष स्वीकृति के उपरांत पूर्व में निर्गत सभी शासनादेशों को अतिक्रमित करते हुए सभी संस्कृत विद्यालय -महाविद्यालयों को तीन स्तरों में वर्गीकृत किया जाता है। प्राथमिक विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय और महाविद्यालय।‌ इसी शासनादेश के आधार पर उत्तराखंड बनने के बाद 2007 में प्रदेश के संस्कृत महाविद्यालयों के वर्गीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई है। संस्कृत शिक्षा निदेशालय के रवैये पर सवाल खड़े किए।

विश्वविद्यालय में तालाबंदी की चेतावनी
हरिद्वार। ‌छात्रसंघ ने चेतावनी देते हुए कहा कि 15 दिसंबर तक अगर संस्कृत विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के अंतर्गत नहीं आता तो विश्वविद्यालय में तालाबंदी होगी और आमरण अनशन किया जाएगा। बताया जा रहा है कि बैठक में छात्रों के उग्र तेवर देखकर अधिकारी छात्रों के प्रश्नों का जवाब दिए बिना ही चले गए। स्वामी राम कृष्ण महाराज ने बताया कि जल्द अखाड़ा परिषद की बैठक बुलाकर प्रदेश में संस्कृत-संस्कृति की पोषक भाजपा के शासनकाल में अधिकारियों के रवैये से संस्कृत शिक्षा के लगातर हो रहे ह्रास से समस्त संत समाज हिन्दू संगठन अत्यंत नाराज है अब अगर सरकार नहीं सुनती है तो विद्यालय-महाविद्यालयों को बन्दकर प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा और जरूरत पड़ी तो कोर्ट की भी शरण ली जाएगी।

बैठक में यह रहे मौजूद
संस्कृत शिक्षा सचिव चंद्रेश कुमार यादव, संस्कृत विश्वविद्यालय कुलपति प्रोफेसर दिनेश शास्त्री, संस्कृत शिक्षा निदेशक एसपी खाली, संस्कृत विश्वविद्यालय कुल सचिव गिरीश कुमार अवस्थी, सहायक निदेशक संस्कृत डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल, डॉ वाजश्रवा आर्य, डॉ पद्माकर मिश्र, स्वामी ऋषि स्वरानंद, स्वामी ऋषि रामकृष्ण महाराज, स्वामी चंद्रभूषण, चंद्र मोहन सिंह पायल, डॉ संतोष मुनि, डॉ राधेश्याम खंडूड़ी, अनुसूया प्रसाद सुंदरियाल, डॉ ओमप्रकाश पूर्वाल, डॉ राम भूषण बिजल्वाण, डॉ कुलदीप पंत, द्रवेश्वर प्रसाद थपलियाल, जनार्दन कैरवान, नवीन भट्ट, विनोद जुगलान, विनायक भट्ट, रामेश्वर रनाकोटी, डॉ अतुल चमोला, डॉ महेश ध्यानी, डॉ वाणी भूषण भट्ट, डॉ जनार्दन नौटियाल सहित समस्त प्राचार्य एवं प्रबंधक उपस्थित रहे हैं।

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