संस्कृति को अक्षुण रखने में संस्कृत विद्यालयों की भूमिका अहम, संस्कृत छात्रों को वितरित की पाठ्य सामग्री

ऋषिकेश 26 अप्रैल। श्री मुनीश्वर वेदांग संस्कृत विद्यालय मायाकुंड, ऋषिकेश के समस्त छात्रों को स्वामी कल्याण स्वरूप महाराज के सहयोग से पाठ्य सामग्री वितरित की गई। इस दौरान विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ जनार्दन प्रसाद कैरवान ने कहा कि संस्कृति को अक्षुण्ण बनाने में संस्कृत विद्यालयों की भूमिका अहम है।
शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में श्री मुनीश्वर वेदांत संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ जनार्दन कैरवान ने बताया कि स्वामी कल्याण स्वरूप के द्वारा विद्यालय के समस्त छात्रों के लिए गंगानगर राजस्थान से पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराई गई थी, जिसको सभी छात्रों को वितरित किया गया। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति को अक्षुण रखने में अपनी भूमिका निभाने वाले संस्कृत विद्यालय एवं उनमें अध्ययन करने वाले संस्कृत के छात्रों का संरक्षण और संवर्धन साधु संतों तथा सद विचारों वाले लोगों के द्वारा किया जाता रहा है, जिससे आज पूरे विश्व में भारत की प्रतिष्ठा दिनों दिन बढ़ती जा रही है।
उन्होंने कहा कि सरकारों के संस्कृत के प्रति बेरुखी के बावजूद भी संत महात्माओं के द्वारा इन संस्कृत विद्यालयों एवं छात्रों का पोषण किया जा रहा है। हमें इस बात का संतोष है कि कुछ वर्षों से लोगों का संस्कृत गुरुकुलो के प्रति पुनः रुझान बढ़ रहा है। लोग अपने बच्चों को संस्कृत भाषा के अध्ययन हेतु संस्कृत गुरुकुलों में बढ़-चढ़कर प्रतिभाग करा रहे हैं। मौके पर वैदिक ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष स्वामी अच्युतानंद महाराज, जगमोहन मिश्रा, गंगाराम व्यास, पंजाब सिंह क्षेत्र साधु विद्यालय के प्रधानाचार्य नवीन कुमार भट्ट, जयराम संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य विजय जगलाल, जितेंद्र प्रसाद भट्ट, शंकरमणि भट्ट आदि उपस्थित रहे।

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