
ऋषिकेश, 4 जून। 13 महीने से ट्यूब के सहारे ज़िंदगी, 7 घंटे के ऑपरेशन से मिली नई शुरुआत, एम्स ऋषिकेश में असंभव को संभव बनाकर रचा गया नया कीर्तिमान। मुरादाबाद की 24 वर्षीय महिला की आहार नली एसिड पीने से जल गई थी। फीडिंग ट्यूब से चल रहा था जीवन, मुंह से भोजन करना नामुमकिन, एम्स ऋषिकेश में 7 घंटे की सर्जरी से बना दी गई बड़ी आंत से नई “इसोफेगस”। अब सामान्य भोजन कर रही महिला, जीवन में लौटी नई ऊर्जा
🏥 कहानी उस जज़्बे की, जो डॉक्टरों की मेहनत और विज्ञान की ताक़त से जी उठी
एम्स ऋषिकेश के सर्जनों ने असाधारण मेडिकल उपलब्धि हासिल करते हुए एक महिला को नया जीवन दिया। यह महिला पिछले 13 महीनों से एक ट्यूब के ज़रिए केवल तरल आहार पर जीवित थी, लेकिन अब वह सामान्य जीवन जी रही है — वह भी मुंह से भोजन कर पाकर। ऑपरेशन के बाद 5 दिन तक सीसीयू में रखने के बाद महिला को सामान्य वार्ड में भेजा गया।
8वें दिन महिला ने मुंह से खाना शुरू किया। 15वें दिन: छुट्टी दे दी गई, 4 महीनों की फॉलोअप निगरानी में अब पूरी तरह स्वस्थ।
🔬 क्या था मामला?
मुरादाबाद निवासी 24 वर्षीय महिला ने गलती से एसिड युक्त टॉयलेट क्लीनर पी लिया था, जिससे उसकी पूरी आहार नली (इसोफेगस) जल गई। परिणामस्वरूप वह सिर्फ फीडिंग ट्यूब (Feeding Jejunostomy) के जरिए ही भोजन ले पा रही थी।
एम्स ऋषिकेश पहुंचने पर डॉक्टरों ने जांच के बाद यह तय किया कि बड़ी आंत के हिस्से से एक नई आहार नली बनाई जा सकती है।
🔧 कैसे हुई यह असंभव सर्जरी संभव?
इस सर्जरी को “कोलोनिक पुल-अप” (Colonic Pull-Up) कहा जाता है।
इसमें बड़ी आंत के हिस्से को गले तक लाया गया, ताकि वह आहार नली के रूप में कार्य कर सके।
👨⚕️ टीम वर्क बना सफलता की कुंजी
इस जटिल ऑपरेशन को संभव बनाया एम्स की मल्टीडिसिप्लिनरी टीम ने। टीम में शामिल थे: डॉ. लोकेश अरोड़ा – विभागाध्यक्ष, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डॉ. सुनीता सुमन, डॉ. नीरज यादव, डॉ. विनय, डॉ. अजहर, डॉ. शुभम, डॉ. अमन, ईएनटी सर्जन डॉ. अमित त्यागी, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. संजय अग्रवाल, नर्सिंग स्टाफ: दीप, मनीष, सीमा, रितेश
👏 प्रशंसा और सम्मान
एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह और चिकित्सा अधीक्षक प्रो. बी. सत्याश्री ने इस उपलब्धि की सराहना की और इसे चिकित्सा जगत के लिए मील का पत्थर बताया।