रोमांच से भरा होगा इस रेल का सफर! 125 किलोमीटर लंबी रेल लाइन में 104 किलोमीटर में होंगी भूमिगत सुरंगें

 

परियोजना पूरी तरह से ऋचा से 7 घंटे की जगह 3 घंटे की होगी

हाइवे 26 सितम्बर। देवभूमि उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट ऋषि-कर्ण प्रयाग रेल लाइन का कार्य तेजी से गतिमान है। इस परियोजना में सबसे लंबी 14.58 किमी लंबी रेलवे लाइन के साथ 12 रेलवे और 19 प्रमुख रेल पुल बनाए गए हैं। वर्ष 2025 तक इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
दिलचस्प बात यह है कि 125 किमी रेल लाइन में करीब 104 किमी का हिस्सा भूमिगत सुरंगों से गुजरेगा। यानी कि इस रेल का सफर रोमांच भरा होगा। प्रोजेक्ट में प्रतिदिन 170 मीटर सुरंग बनाने का कार्य चल रहा है।
रेल विकास निगम लिमिटेड के मुख्य परियोजना प्रबंधक अजित सिंह यादव ने बताया कि परियोजना में शामिल होने के लिए केवल 3 घंटे का समय लगेगा। इस परियोजना का सुरंग कार्य 2019 शुरू हो चुका है और अभी तक इस परियोजना में 127 किमी भूमिगत सुरंग खोदाई का कार्य पूरा हो चुका है। 12 सितंबर 2023 तक गूलर और शिवपुरी के बीच फ्लोरेंस नंबर 2 जो कि 6080 मीटर लंबा है, की खुदाई का काम पूरा हो चुका है। साथ ही गूलर और शिवपुरी के बीच का मुख्य गाना फरवरी 2024 तक काम पूरा कर लिया जाएगा। इस रेल परियोजना में वीरभद्र सहित कुल 13 स्टेशन हैं। जिसमें 12 मेडिसिन का कार्य एक साथ शुरू होगा। इस परियोजना में यार्ड और मेडिसिन की लंबाई स्वावा किमी क्षेत्र और देव प्रयाग सहित कुछ मंच का हिस्सा सुरंग के अंदर भी बनाया जाएगा।

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भूकंप की दृष्टि अधिक सुरक्षित बनी रहती है

विश्वास। आरवीएनएल के मुख्य परियोजना प्रबंधक ने बताया कि सभी तरंगों का निर्माण किया जा रहा है ताकि वर्षा के दौरान भी किसी भी प्रकार की संरचना का जन्म न हो सके। इस परियोजना को हिमालयी क्षेत्र में आने वाले भूकंपों की दृष्टि से अत्यधिक सुरक्षित बनाया जा रहा है। रेल परियोजना प्रबंधक ने रेलवे कर्मचारियों के लिए आवासीय व सर्विस कॉलोनी का भी निर्माण कराया। आपातकालीन स्थिति भर्ती के लिए अतिरिक्त पानी के टैंकों का निर्माण किया जाएगा, जिसका कार्य भी प्रगति पर है। परियोजना में अधिग्रहण की गई भूमि का पूर्ण रूप से प्रतिकृति दे दी गई है। परियोजना में थ्री किमी से लंबी मुख्य सुरंगों के साथ-साथ बिक्री के लिए सुरंगों का भी निर्माण किया गया है, ताकि यात्रियों को कठिनाई की स्थिति में सुरक्षित रखा जा सके।

कोविड और खतरे पर रोक के प्रभावित हुई परियोजना

विश्वास। प्रोजेक्ट मैनेजर यादव ने बताया कि इस प्रोजेक्ट की समयसीमा दिसंबर 2024 तक पूरी हो गई थी लेकिन कोविड महामारी के कारण इसमें देरी होना खतरनाक है। साथ ही हाई कोर्ट, नैमिट्रिक अंटार्कटिका द्वारा मशीनी खनन पर रोक लगाने से प्रोजेक्ट में प्रयोग होने वाले कच्चे माल के समुद्र तट से प्रभावित हो रही है। इसका प्रभाव परियोजना की अवधि पर पढना निश्चित है। सुरंग संख्या-08 जोक जिसमें 14.58 किमी लंबा है का निर्माण टनल बोरिंग मशीन से किया जा रहा है, इसके अलावा सभी प्रकार के सुरंगों की उड़ान और ब्लास्ट तकनीक से काम किया जा रहा है सभी मॉडलों का पूर्ण रूप से संयोजन किया जा रहा है कोई भी आसपास के क्षेत्र में रैयशी एशिया में न हो। कुछ मामलों में मकान मालिकों की शिकायत पर तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा स्थानों का निरीक्षण किया जा रहा है, ताकि किसी भी प्रकार की होने वाली क्षति का आकलन कर स्मारक बनाया जा सके।

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