प्रदेश के पुरातन संस्कृत महाविद्यालयों को षड़यंत्र और  कुचक्र रचकर खत्म करने का आरोप! छात्रों का भविष्य अधर में

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ऋषिकेश। सनातन प्रेमियों के बदौलत चल रहे संस्कृत महाविद्यालयों, संस्कृत विद्यालयों के लिए शासन के आदेश से हजारों छात्रों का भविष्य अधर में है। प्रदेश के पुरातन संस्कृत महाविद्यालय को षड़यंत्र और कुचक्र रचकर खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।
यह आरोप संस्कृत जगत से जुड़े लोगों ने लगाया है।‌ बताया कि विगत दिनों शासन से जारी एक आदेश से ब्रिटिश शासन के समय से चल रहे पुरातन संस्कृत विद्यालयों, महाविद्यालयों को बंद करने की सरकार की स्पष्ट मंशा जाहिर हो रही है। जिससे प्रदेश के संस्कृत महाविद्यालयों में अध्ययनरत समस्त छात्र, अभिभावक, शिक्षक संघ, संस्कृत प्रेमी, सनातन प्रेमियों घनघोर निराशा में हैं। संस्कृत विद्यालय-महाविद्यालय शिक्षक संघ उत्तराखंड के प्रदेश संरक्षक डॉ. संतोष मुनि ने कहा कि संस्कृत प्रेम का दम्भ भरने वाली सरकार 100 वर्षों से संस्कृत की सेवा कर रही संस्थाओं को समृद्ध करने की बजाय वित्तीय अवनति के आदेश दे रही है। प्रदेश के पुरातन संस्कृत महाविद्यालयों को षड़यंत्र ओर कुचक्र रचकर शास्त्री/ आचार्य की कक्षाओं को खत्म कर दिया गया है। जिससे अध्ययनरत छात्रों , संस्कृत प्रेमियों व शिक्षकों में का मनोबल क्षीण हो रहा है। जो अत्यंत कष्टप्रद है।  वर्तमान  कुछ बुद्धिमान जीवों के द्वारा कहा जाने लगा है कि संस्कृत महाविद्यालय/ संस्कृत विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों से समाज को क्या मिलता है…?   इन सभी संस्कृत महाविद्यालयों को बन्द कर दो, जिसको पढ़ना होगा वह उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार में पढ़े..? संस्कृत महाविद्यालयों में निदेशालय से उच्च शिक्षा योग्यता अनुसार शास्त्री/ आचार्य की कक्षाओं को पढ़ाने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है, वर्तमान आदेश से छात्रों एवं शिक्षकों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है, सरकार स्पष्ट आदेश जारी करें, नहीं तो सभी संस्कृत प्रेमियों, संस्कृत संगठन एवं हिन्दू संगठन आदि आन्दोलन करने पर बाध्य होंगे, इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।

सनातन प्रेमियों और संत महात्माओं के रहमो करम पर चल रहे संस्कृत महाविद्यालय
डॉ. संतोष मुनि ने कहा कि उत्तराखंड के संस्कृत प्रेमियों, आश्रमों, संत महात्माओं, सनातन प्रेमियों के बदौलत संस्कृत महाविद्यालयों, संस्कृत विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों को निःशुल्क आवास, भोजन, वस्त्र, पुस्तकें आदि दी जाती है, तब जाकर संस्कृत महाविद्यालय, विद्यालयों में छात्र वेद, गीता, व्याकरण, ज्योतिष, उपनिषद आदि सनातन धर्म ग्रन्थों की  पढ़ाई पूर्ण कर पाते हैं, यही छात्र देश में नहीं बल्कि विदेशों में भी जाकर सनातन धर्म का प्रचार- प्रसार करते हुऐ अपने देश का गौरव बढ़ाते हैं और समाज को संस्कार देते हैं। वर्तमान लगभग संस्कृत महाविद्यालयों में 3000 छात्र पढ़ रहें है, इनकी निःशुल्क आवास, भोजन आदि व्यवस्था,आश्रमों में सन्त महात्माओं, संस्कृत प्रेमियों, सनातन प्रेमियों एवं प्रबन्धकों के द्वारा की जाती है,  क्या सरकार ने  विश्वविद्यालय में इन छात्रों के लिए निःशुल्क  आवास, भोजन आदि व्यवस्था कर दी है..? जिससे छात्र अपनी पढ़ाई पूर्ण कर सके..? वर्तमान में संस्कृत विद्यालय/ संस्कृत महाविद्यालय बहुत ही बुरे दौर से गुजर रहा है, अपनी संस्कृत प्रेमी सरकार के कार्यकाल में…?

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