इस डेंटल कॉलेज के 509 छात्र बने दंत चिकित्सक! वाइस चांसलर ने प्रदान की डिग्री

ऋषिकेश 1 अप्रैल। सीमा डेंटल कॉलेज एवं हास्पिटल ऋषिकेश में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित स्नाकोत्तर एवं स्नातक छात्रों का दीक्षान्त समारोह में 509 छात्र-छात्राओं को उपाधि (डिग्री) प्रदान की गई।
कार्यक्रम का शुभारम्भ बतौर मुख्य अतिथि प्रोफेसर डा. मीनू सिंह, डायरेक्टर एम्स ऋषिकेश, कुलपति प्रतिनिधि प्रोफेसर आरसी भट्ट प्रो. वाईस चांसलर एचएनबी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर गढ़वाल, चेयरमैन डा. अमित गुप्ता, कार्यकारी निदेशक अजय गर्ग, डायरेक्टर डा.अनिरूद्ध प्रताप सिंह एवं उप प्रधानाचार्य डा. प्रेम प्रकाश ने संयुक्त रूप से किया।
डेंटल कॉलेज के संस्थापक अध्यक्ष डा. आरके गुप्ता ने मुख्य अतिथि एवं कुलपति प्रतिनिधि का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया। प्रधानाचार्य डा. पी नारायण प्रसाद ने अपने स्वागत भाषण में उपाधि प्राप्त कर रहे दन्त चिकित्सकों से समाज को बेहतर से बेहतर दन्त चिकित्सा मुहैया कराने का आश्वासन लिया। उन्होंने कहा की सिर्फ पैसा कमाना ही एक कुशल डाक्टर का कार्य नहीं है अपितु अपने व्यवसाय के साथ-साथ उन्हें समाज सेवा के कार्य भी करते रहने चाहिए। इस दौरान एम.डी.एस. बैच 2016, 2017, 2018, 2019 एवं 2020 के 78 स्नाकोत्तर छात्रों एवं बीडीएस बैच 2014, 2015, 2016, 2017 एवं 2018 के 431 स्नातक छात्रों को कुलपति प्रतिनिधि प्रोफेसर आर.सी.भट्ट प्रो.वाईस चांसलर ने उपाधि प्रदान की। प्रोफेसर भट्ट ने अपने दीक्षान्त व्याख्यान में सीमा डेन्टल कॉलेज एवं हास्पिटल में उपलब्ध संसाधनों की प्रशंसा करते हुये कहा कि संस्थान लगातार उत्तराखण्ड ही नहीं वरन सम्पूर्ण भारत वर्ष को कुशल दन्त चिकित्सक प्रदान कर रहा है। जो कि देश ही नहीं उत्तराखण्ड के दुर्गम क्षेत्रों में अपनी सेवायें प्रदान कर दंत रोगों से मुक्त कर रहे हैं।
संस्थान के चेयरमैन डा. अमित गुप्ता ने सभी भावी डाक्टरों को बधाई देते हुए कहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि हमारे ये छात्र सम्पूर्ण भारतवर्ष एवं विश्व में हमारे संस्थान का नाम रोशन कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। सही मायने में उनकी जिन्दगी का शुभारम्भ अब हुआ है और वे पूर्ण लगन से मानवता की सेवा करते रहेंगे।
समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर डा. मीनू सिंह, डायरेक्टर एम्स ऋषिकेश, ने कहा कि दन्त चिकित्सकों की जरूरत सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित न होकर गांव-गांव तक पहुंचे यही आज की ज्वलन्त आवश्कता है। उन्होंने कहा कि एक सफल चिकित्सक वही है जो रोगी के रोग से पहले उसके मन की व्यथा समझ पाये तथा सिर्फ दांत का ही नहीं वरन उनके पूर्ण व्यक्तित्व का इलाज कर सके। कार्यक्रम का संचालन प्रोस्थोडोन्टिक्स विभाग की प्रोफेसर डा. ज्योत्सना सेठ ने किया।

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