धार्मिक संपत्तियों को लेकर हाईकोर्ट की शरण लेगी संत समिति
ऋषिकेश। संत समिति (रजि.) ऋषिकेेश की बैठक आज महानंद आश्रम रेलवे रोड में हुई, जिसमें तीर्थ नगरी ऋषिकेश और आसपास के क्षेत्रों में खुर्द खुर्द हो रही धार्मिक संपत्तियों को बचाने पर चर्चा की गई सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि मामले में प्रदेश सरकार और राज्यपाल से गुहार लगाई जाएगी सकारात्मक कार्रवाई नहीं होने पर संत समिति हाईकोर्ट में धार्मिक संपत्तियों को लेकर याचिका दायर करेगी।
शनिवार को संत समिति के अध्यक्ष महंत विनय सारस्वत महाराज ने कहा कि तीर्थनगरी ऋषिकेश का धार्मिक स्वरूप लगातार बिगड़ता जा रहा है। यहां मौजूद सैकड़ों धर्मशालाओं, मठ और मंदिरों से तीर्थनगरी की पहचान पूरे विश्व में धार्मिक क्षेत्र के रूप में जानी जाती थी। मगर, दुर्भाग्य का विषय है कि लगातार कुछ भू-माफियाओं द्वारा धार्मिक संपत्तियों को खुर्द-बुर्द कर उन्हें व्यवसायिक स्वारूप में तब्दील किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऋषिकेश चारधाम यात्रा का प्रमुख स्थल और प्रवेश द्वार है, यहां पूरे वर्ष भर लाखों की संख्या में तीर्थयात्री पहुंचते हैं। मगर, मंदिर, मठ और धर्मशालाओं के अभाव में तीर्थयात्रियों को अन्न क्षेत्र और धर्मशालाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। लगातार खुर्द-बुर्द हो रही धर्मशालाओं व अन्न क्षेत्रों के कारण विगत कुछ वर्षों से यात्रियों को सड़कों पर खुले आसमान के नीचे सोते हुए देखा जा सकता है।
महंत विनय सlरस्वत महाराज ने आरोप लगाया कि वर्तमान में भी स्वामी विशुद्धानंद महाराज द्वारा स्थापित काली कमली ट्रस्ट द्वारा यात्रियों के निवास स्थान को व्यवसायिक उपयोग के लिए उसका स्वरूप बदला जा रहा है। टाल वाली धर्मशाला तथा स्थित न्यू बिल्डिंग में भी दुकानदारों को ऊपर के यात्री कमरों को भीतर से ही रास्ता देकर गोदाम बनाकर बेचा जा रहा है। इसी तरह सुभाष चौक स्थिति जिंदबाड़ा जो, राजा जिंद द्वारा संस्कृत विद्यालय, गोशाला व अन्य धार्मिक कार्यों के लिए दान दिया गया था, उसमें भी व्यवसायिककरण करने का प्रयास किया जा रहा है, पूरी तरह से निंदनीय है।
बैठक में प्राचीन सिद्ध सोमेश्वर महादेव इस अवसर पर समिति के महामंत्री महंत रामेश्वर गिरी महाराज, महंत पूर्णानंद, महंत कृष्णानंद महाराज, महंत राजेंद्र गिरी, महंत हरिनारायणाचार्य, महंत केवल्यानंद महाराज, महंत नित्यानंद गिरी, महंत निर्मल दास, महंत कृष्णकांत, स्वामी धर्मवीर दादूपंथी, महंत धर्मदास, महंत नित्यानंद पुरी, महंत बलवीर सिंह, महंत इंदर गिरी, महंत हृयग्रीवाचार्य, महंत सुंदरानन्द, महंत हरिदास महाराज, महंत धर्मानंद गिरी, महंत कृष्णकांत, कोतवाल ध्यानदास, कोतवाल गोपाल आदि संत उपस्थित थे।